September 17, 2024

24 सितंबर को जिला मुख्यालयों पर काले कपडें पहनकर निकालेंगे आक्रोष वाहन रैली।

जयपुर: अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के 15 सूत्री मांग पत्र की मांगों तथा नीतिगत दस्तावेज के कर्मचारी कल्याण का एक भी बिंदु लागू नही करने के विरोध में किए जा रहे चरणबद्ध आंदोलन की श्रृंखला में 14 सितंबर को शहीद स्मारक जयपुर पर महासंघ की प्रदेश कार्यकारिणी के 51 सदस्यों ने उपवास रखा जिनके साथ 82 घटक संगठनों के हजारों कर्मचारियों ने धरना देकर सरकार के समक्ष पुरजोर विरोध दर्ज करवाया।

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष महावीर शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार महासंघ के मांग पत्र की लगातार उपेक्षा कर रही है तथा संवाद हीनता रख रही है। साथ ही सरकार ने चुनाव से पूर्व जारी अपने घोषणा पत्र जिसको कैबिनेट की प्रथम बैठक में नीतिगत दस्तावेज बना दिया गया था, उसके एक भी बिंदु को लागू नहीं कर प्रदेश के कर्मचारियों से छलावा किया है। जिसके कारण प्रदेश के लाखों कर्मचारियों में आक्रोश है। इससे आहत होकर अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने उपवास रख कर तथा धरना देकर विरोध दर्ज करवाया है।

शर्मा ने यह भी बताया कि सरकार सिर्फ कर्मचारी वेलफेयर करने का माहौल बना रही है जबकि वास्तविकता में एक भी कर्मचारी संवर्ग की वेतन विसंगति दूर नहीं की गई है, हजारों कर्मचारी कैडर स्ट्रेंथन की अपेक्षा पाले बैठे है तथा लाखों संविदा कार्मिको को नियमित करने के स्थान पर संविदा कार्मिक रखने के ही नए नियम बना दिए गए है। प्रदेष अध्यक्ष शर्मा ने बताया कि सरकार की वादा खिलाफी एवं संवादहीनता के कारण संयुक्त महासंघ आंदोलन को तेज करने जा रहा है। आंदोलन के आगामी चरण निम्न प्रकार घोषित किये जाते हैः-

  1. 18 सितम्बर 2023 से विरोधस्वरूप लाखों कर्मचारी काले कपड़े पहनकर डयूटी करेंगे।
  2. 24 सितम्बर को प्रदेष के समस्त जिला मुख्यालयों पर काले कपडें पहनकर आक्रोष वाहन रैली निकालेंगे।
  3. 02 अक्टुबर 2023 को गांधी जयन्ति पर राजधानी जयपुर में काले कपडें पहनकर आक्रोष प्रदर्षन करेंगे।
    महासंघ के प्रदेश महामंत्री महावीर सिहाग ने बताया कि शासन एवं सरकार लगातार कर्मचारी संगठनों की उपेक्षा कर रही है। सरकार पर ब्यूरोक्रेसी हावी है जिसके परिणाम स्वरूप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की घोषणा के बाद भी हजारों तृतीय श्रेणी शिक्षको के स्थानान्तरण तक नही किए गए। सरकार महासंघ के 15 सूत्री मांग पत्र एवं स्वयं द्वारा घोषित नीतिगत दस्तावेज पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं कर रही जिसके कारण विवश होकर महासंघ को आंदोलन तेज करना पड़ा है।
    महासंघ के प्रदेश प्रवक्ता भगवती प्रसाद ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार एवं शासन के द्वारा विगत 5 वर्षों में आंदोलनरत विभिन्न संगठनों से समझौते तो किए गए हैं लेकिन एक भी समझौता लागू नहीं किया गया, जिससे महासंघ से संबद्ध 82 संगठनों में आक्रोश बना हुआ है।
    धरने को महासंघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा, के के गुप्ता ने संबोधित करते हुए महासंघ के संघर्ष में पुरजोर सहयोग का आश्वासन देते हुए सरकार को चेतावनी दी कि यदि सरकार ने महासंघ के मांग पत्र पर द्विपक्षीय वार्ता कर शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो आंदोलनरत महासंघ के आंदोलन को तेज करने में पूर्ण सहयोग देंगे।
    उपवास एवं धरने में कर्मचारी नेता बन्ना राम चौधरी तथा नरेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन शर्मा, दषरथ सिंह, हरलाल चौधरी, रामधन मीना, शंकर लाल गौड, सुषील प्रधान, नरेन्द्र सिंह कविया, रामनिवास चौधरी, शेर सिंह, फैली राम मीणा, महेन्द्र कुमार तिवारी, धर्मेन्द्र फोगाट, सुरेष धाबाई, सीताराम सुलानिया, मानसिंह, चन्द्र शेखर, अजय सैनी, प्यारेलाल चौधरी, शमीम कुरैशी, महेन्द्र सिंह चौधरी, रामरूप गुर्जर, भुपेन्द्र सिंह, आनन्द सिंह सहित हजारों कर्मचारी उपस्थित रहें।
    यह है मुख्य मांगेः-
  4. कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर कर वर्ष 2013 की अनुसूची 5 के अनुसार सातवें वेतन आयोग में वेतन निर्धारण किया जावे। कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 26000/- किया जावे।
  5. 9,18 एवं 27 वर्ष की सेवा पर माननीय मुख्यमंत्री की बजट घोषणा संख्या 155 के अनुसार एसीपी के स्थान पर 7,14,21, एवं 28 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति पद का वेतनमान स्वीकृत किया जावे।
  6. विभिन्न कर्मचारी संगठनों से सरकार द्वारा किए गए समझौतों एवं सहमतियों को लागू किया जावे।
  7. सहायक कर्मचारियों को एमटीएस घोषित किया जावे।
  8. अध्यापकों (तृ.वे.श्रं.) के स्थानान्तरण किया जावें तथा सभी कार्मिकों के लिए पारदर्शी स्थानान्तरण नीति लागू की जावें।
  9. ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत कार्मिकों को ग्रामीण भत्ता स्वीकृत किया जावे ।
  10. नियमित पदों पर संविदा कार्मिकों के भर्ती के लिए जारी संविदा नियम 2022 को प्रत्याहारित कर रिक्त पदों पर नियुक्त संविदा कार्मिकों/अस्थाई कार्मिकों को नियमित किया जावे।
  11. विभिन्न संवर्गों की मांग के अनुसार उनके पद नाम परिवर्तन किए जावे (यथा एएनएम/ एलएचवी)।
  12. प्रदेश में लागू की गई पुरानी पेंशन योजना के पश्चात कर्मचारियों के एनपीएस में कटौती की गई राशि जी पी एफ खाते में स्थानांतरित की जावे।
  13. प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों को शासन सचिवालय के समान वेतन भत्ते स्वीकृत किए जावे।
  14. कर्मचारी संगठनों के धरना प्रदर्शन पर रोक के लिए सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक निर्णय कर जारी किए गए नो वर्क नो पे के आदेश दिनांक 05.10.2018 को प्रत्याहरित किया जावे।

नीतिगत दस्तावेजः-

  1. सरकारी और अर्द्धसरकारी कर्मचारियों की समय-समय पर विभिन्न समस्याओं एवं मांगो, मसलन, वेतनमान, पदोन्नतियां आदि के समाधान हेतु एक केबिनेट मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन करना जो की राज्य कर्मचारियों की समस्त मांगो के समाधान पर सकारात्मक निर्णय लेगी।
  2. सभी पदोन्नतियां टाईम स्केल के आधार पर करना।
  3. कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर करना।
  4. पेंशनर्स की पेंशन डायरी की लिमिट को 10,000/- रूपये से बढ़ाकर 20,000/- रूपये करना।
  5. सरकार में संविदा कर्मियों, एनआरएचएम एवं एनयूएचएम कर्मियों, पैरा टीचर्स, उर्दू पैरा टीचर्स, लोक जुम्बिस कर्मियों, आंगनबाडी कर्मियों, शिक्षा कर्मियों विधार्थी मित्रों, पंचायत सहायकों आदि के अन्तर्गत कार्यरत कर्मचारियों की समस्याओं का यथोचित समाधान कर नियमित किया जायेगा।