November 24, 2024

जयपुर:-

पिंजरापोल गौशाला सांगानेर में सुरभि भवन के विशाल पंडाल में चल रही श्रीमद् रामचरितमानस जी के नवाह्रपरायण पाठ दिव्य महोत्सव के अंतर्गत कथा व्यास पंडित श्याम महाराज के मुखारविंद से श्रीमद् राम चरित्र मानस का पाठ किया जा रहा है।

इस अवसर पर स्वामी श्री बालमुकुंदाचार्य जी महाराज हाथोज धाम ने उपदेश देते हुए बताया कि भगवान राम जी का बनवास होने के बाद भरत जी चाहते तो राजा बनकर अयोध्या पर राज करते चक्रवर्ती सम्राट बनते लेकिन भरत जी महाराज ने अपने बड़े भ्राता का मान सम्मान रखते हुए राज को त्यागा राम जी की पादुका सिंहासन पर विराजमान करके और राजपाट का काम देखा और कुटिया में सोकर वनवासी की तरह अयोध्या में रहते हुए वनवासी का जीवन व्यतीत किया भाइयों का प्रेम समर्पण और त्याग रामचरितमानस में संपूर्ण जीवन का आज जीवन में जीने की सीखने की आवश्यकता है नारी सम्मान सीखने योग्य ग्रंथ श्रीरामचरितमानस की आवश्यकता आज है राज धर्म क्या होता है और रामजी से देखें, समझे और सीखें नारी सम्मान क्या होता है राम जी का संघर्ष मां जानकी जी को सम्मान सहित वापस लाने का संघर्ष था रामचरितमानस में बहुत कुछ है उसे समझने सीखने की आवश्यकता है प्रत्येक घर में रामचरितमानस का पाठ प्रतिदिन होना चाहिए और नई पीढ़ी को जोड़ने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर बृजमोहन मामोडिया, हरिमोहन डंगायच, रामदास सौखिया, रामजीलाल ओमनी, लक्ष्मण दास कट्टा, रामस्वरूप दुसाद, लल्लू मोदी, भरत लाल ठाकुरिया, हरिमोहन माली, राधेश्याम गुप्ता, राजेश नाटाणी, रामशरण कट्टा, नरेश तांबी, अभिषेक गुप्ता सहित बड़ी संख्या में खंडेलवाल समाज के प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।