July 7, 2024

जयपुर मालवीय नगर के दाल पकवान शहरभर में हैं प्रसिद्ध। 30 सालों से बरकरार रखे है स्वाद का जादू।

जयपुर भ्रमण पर आये लोग अक्सर यहाँ खाने पीने की मशहूर चीज़ों के बारे में भी जानना चाहते हैं.तो हम आप को बता रहे है एक ऐसी जगह जो अपने स्वाद के कारण गुलाबी नगर में काफी मशहूर है.जयपुर के लोग हों या बाहर से आने वाले अन्य राज्यों के पर्यटक व विदेशी नागरिक सभी को अपनी ओर खींचती है.

हम बात कर रहे है सिंधी स्वाद की जो पिछले कुछ समय से अलग सा तड़का लगा रहे हैं। किसी दौर में सिंधी बाहुल्य क्षेत्र का दाल पकवान का स्वाद आज शहर की अधिकांश जगह पर नजर आ जाता है पर मालवीय नगर की इस दुकान का स्वाद लाजवाब है.

यदि कड़ी मेहनत और इच्छा शक्ति मजबूत हो तो कोई काम मुश्किल नहीं होता। यह बात “जयपुर” जिसे “गुलाबी नगरी” कहा जाता है वहां के मालवीय नगर के पास सेक्टर 1, बोराह मडीकल के पास सिथ्त “के संचालक दोलत राम जी पर बिल्कुल सटीक बैठती है। जिन्होंने आज से करीब 30 साल पहले एक छोटी सी शॉप लगा कर अपने काम की शुरुआत की और आज व्यजनों में बढ़िया मसाले अदभूत स्वाद और अव्वल उपभोक्ता सेवा के कारण पूरे जयपुर में अपनी एक अलग पहचान बनाई.

मालवीय नगर के पास सेक्टर 1, बोराह मडीकल के पास सुबह 7 बजे से 1 बजे तक दाल पकवान की दावत का मजमा देखा जा सकता है। गली के कोने पर स्वाद के शौकीनों से भरी हुई दुकान जिसके एक छोर पर दो बड़े से बगोने मे गर्म होती दालें और दूसरे छोर पर पकवान की मीनारें। यह भीड़ लगी होती है .पकवान वाले की छोटी सी उस दुकान पर जिसे 30 साल पहले दोलत राम जी ने पकी हुई दाल बेचने के साथ शुरू किया था. यह दुकान आज भी पकवान वालों के नाम से प्रसिद्ध है.

आपके अपने देशी स्वाद का वो स्थान जो आपको ताजगी और सेहत का नया अहसास दिलायेगा ..

रोज बिक जाते हैं काफी पकवान: दोलत राम जी और उनके बेटे मनोज जी पारंपरिक स्वाद को वर्तमान दौर में भी बनाए हुए हैं.कागज पर रखकर पकवान और दौने में मिलने वाली दाल को प्याज, धनिया से गार्निश किया जाता है.इस स्वाद में चटक तड़का लगाती है हरे धनिया की चटनी.संजय के अनुसार 30 वर्ष पहले एक पकवान 5 रुपए में मिलता था. आज 30 रुपये का पकवान हो चुका है.सुबह 7 बजे से शाम छह बजे तक करीब आठ सौ पकवान बिक जाते हैं।आज जयपुर के अलावा दूसरे शहरों से आने वाले लोग भी इस गली के दाल-पकवान का स्वाद लेना नहीं भूलते।भूलते.

सिगड़ी पर रखे मोटी परत वाले एक बर्तन में साबूत मूंग की दाल और दूसरे बर्तन में मूंगदाल मद्धम आंच पर उबलती रहती है. जिसमें मसालों के नाम पर सिर्फ हल्दी और नमक ही होता है.इस दाल के सुपाच्य होने के कारण इसे रोज भी खाया जा सकता है.इन दोनों ही दाल और मैदे से बने खस्तानुमा पकवान जिसमे सिर्फ नमक होता है उस पर डाला जाता है. इसके बाद उस पर हरा धनिया-पुदीने की चटनी, कटे हुए प्याज, तली हुई हरी मिर्च, कश्मीरी मिर्च का पाउडर और विशेष तरह का मसाला डाल खाने के लिए दे दिया जाता हैहै.

इस विशेष मसाले में कालीमिर्च, जीरा, बड़ी इलायची, तेजपत्ता होता है जो इस फीके व्यंजन को भी चटपटा बना देते हैं.इसका जायका बढ़ाने का एक मंत्र यह भी है कि साबूत मूंग को इतना उबाला जाए कि उसके दाने फटने लगे और यह काम प्रेशर कुकर में नहीं करना होता है.बदलाव बस इतना ही हुआ कि पहले इसे पत्ते में रखकर परोसा जाता था अब उसकी जगह प्लेट ने ले ली.

अगर आप इनके स्वाद का अपने घर बैठे लेना चाहते हैं तो उसकी सुविधा भी उपलब्ध है आप जोमटो स्विग्गी की थ्रू इनके स्वाद का आनंद ले सकते हैं.

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