राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां का रंग लोगों को खूब भाता है. पुराने किला से लेकर यहां का खानपान और संगीत सभी को अपनी तरफ आकर्षित करता है. राजस्थान के नाम पर लोगों को दाल बाटी चूरमा, मिर्च के पकौड़े, प्याज की कचौरी और घेवर याद आता है.
लेकिन आज हम आपको अलवर के उस प्रसिद्ध मिठाई के बारे में बताएंगे जिसे खाने के लिए नेता हो या अभिनेता कोई भी अपना काफिला रोक रोक लेते थे.
मेहनत और ईमानदारी से किया गया व्यापार या कोई कार्य सफलता के शिखर पर पहुंचाता है ऐसा ही एक ब्रांड है जो मिठाई की दुनिया में एक अलग ही पहचान बनाए हुए हैं अलवर का मिल्क केक जिसे कलाकंद कहते हैं, अशोक कुमार तनेजा ने बताया कि आजादी के बाद बाबा ठाकुरदास का परिवार अलवर आकर बस गया. यहां आकर उन्होंने घंटाघर के पास एक छोटी सी दुकान खोली और कलाकंद बनाना शुरू किया.
उन्होंने बताया की देश की आजादी से पहले पाकिस्तान वाले हिस्से में एक बार बाबा ठाकुर दास के हाथों दूध फट गया था. इसके बाद उन्होंने प्रयोग करते हुए दूध को फेंकने की जगह इसमें चीनी मिलाकर उबाल दिया. दूध से पानी खत्म होने के बाद इसे ठंडा करने के लिए खोमचे में रख दिया. जब इसे चखकर देखा तो काफी स्वादिष्ट लगा. बाद में उन्होंने इस मिठाई को ग्राहकों को भी चखाया, जो उन्हें भी पसंद आया.
बाबा ठाकुर दास जी के पुत्र अशोक कुमार तनेजा अपने कुशल व्यवहार से एक पारिवारिक मिठास की अनूठी परंपरा को निभाते हुए वर्ष 1947 से लगातार आज तक लोगों को कलाकंद का स्वाद चखाते आ रहे हैं.
यह दुकान भले ही करीब 76 साल पुरानी हो चुकी है, लेकिन यहां दूध से बने उत्पादों की शुद्धता आज भी बरकरार है।संभवत: राजस्थान में अलवर ही एक ऐसा केंद्र है जहां इस कलाकंद को शुद्ध देशी विधि से बनाया जाता है।
तहलका डॉट न्यूज़