पोक्सो न्यायालय ने अपराधी भारतीय सेना में कार्यरत जवान को सुनाई आजीवन कारावास की सजा
न्यायाधीश संदीप कुमार शर्मा ने फैसले में कहा :- देश की रक्षा करने वाले सैनिक का कृत्य गंभीरतम अपराध
6.25 लाख रूपयों का लगाया जुर्माना
वर्ष 2016-2017 में नाबालिग छात्रा से किया था दुष्कर्म व ज्यादती, परेशान होकर छात्रा ने कर ली थी आत्महत्या
मृतका के सुसाईड नोट से हुआ सम्पूर्ण प्रकरण का पटाक्षेप
कोटपूतली(मनोज पंडित)
कहते है रक्षक ही भक्षक बन जाये तो समाज में सबसे बड़े अत्याचार होते है। ऐसी ही घटना वर्ष 2016-2017 में यहाँ के पनियाला थाना क्षेत्र के एक गाँव में सामने आई थी। जहाँ 12 वीं कक्षा में पढऩे वाली आदिवासी समाज की एक नाबालिग छात्रा ने भारतीय सेना में कार्यरत जवान द्वारा उसके साथ की गई दुष्कर्म व ज्यादती की घटना से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। घटना के बाद ना केवल अभियुक्त व उसके परिजनों ने मृतक बालिका के पिता व परिजनों पर दबाव बनाकर उसका जबरन अन्तिम संस्कार बिना पोस्टमार्टम के करवा दिया था। यही नहीं मृतका के पिता द्वारा पुलिस में मामला दर्ज करवाये जाने पर उनके साथ मारपीट की घटना भी कारित की थी।
मामले में स्थानीय पुलिस द्वारा भी काफी लापरवाही बरती गई थी। लेकिन अन्तत: मृतका द्वारा लिखे गये सुसाईड नोट ने पुरे मामले की कलई खोली। उक्त मामले में सुनवाई करते हुए पोक्सो न्यायालय ने अभियुक्त ग्राम बनेठी निवासी रोतान सिंह तंवर (30) को आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया है। मुल्जिम भारतीय सेना में कार्यरत है। शुक्रवार को सुनाये गये फैसले में पोक्सो जज संदीप कुमार शर्मा ने कहा कि देश की रक्षा करने वाले सैनिक का यह कृत्य एक गंभीरतम अपराध है। जो कि रेयरेस्ट ऑफ रेयर किस्म का प्रकरण है।
मुल्जिम को आजीवन कारावास के साथ-साथ 6.25 लाख रूपयों के जुर्माने से भी दण्डित किया गया है। मामले में पीडि़त पक्ष की ओर से पैरवी करने वाली वरिष्ठ लोक अभियोजक विजया पारीक ने बताया कि पीडि़ता ने अश्लील विडियो बनाने की बात से डरा धमका कर कई बार दुष्कर्म किया गया था। जिसके बाद नाबालिग पीडि़ता छात्रा ने 19 नवम्बर 2017 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। घटना के बाद उसकी किताबों में मिले सुसाईड नोट के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया था। इस सम्बंध में सामाजिक कार्यकर्ता नित्येन्द्र मानव ने भारत के राष्ट्रपति, मानवाधिकार आयोग समेत विभिन्न जगहों पर ज्ञापन व याचिका भेजकर कार्यवाही की माँग भी की थी। जिस पर राष्ट्रपति सचिवालय ने राज्य के मुख्य सचिव को कार्यवाही के निर्देश दिये थे। मानव ने बताया कि इस प्रकार की घटना मानव समाज की अस्मिता पर एक घातक हमला है।
पोक्सो न्यायालय ने जो फैसला सुनाया है, उससे समाज में ऐसे अपराधियों को एक कड़ा संदेश जायेगा। साथ ही गंभीरतम किस्म की ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी। मामले को लेकर क्षेत्रीय विधायक, उच्च शिक्षा व गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने भी अपने बतौर विधायक तत्कालीन कार्यकाल में राजस्थान विधानसभा में प्रकरण को लेकर गंभीरता के साथ माँग उठाते हुए पीडि़ता व उसके परिजनों को न्याय दिलाने एवं अभियुक्त के विरूद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही की माँग भी की थी। यादव ने कहा कि न्यायालय के फैसले से समाज में ऐसे अपराधियों के विरूद्ध कड़ा संदेश जायेगा।
क्या है मामला :- पनियाला थाना क्षेत्र में ग्राम बनेठी के निकट एक गाँव की ढ़ाणी में रहने वाली 12 वीं कक्षा की छात्रा जो कि ग्राम खड़ब स्थित एक निजी विधालय में अध्ययनरत थी। वर्ष 2016-2017 में उक्त नाबालिग छात्रा का फायदा उठाते हुए ग्राम बनेठी निवासी रोतान सिंह तंवर ने कई बार उसके साथ जबरन दुष्कर्म कर आपत्तिजनक स्थिति में बनाई गई विडियो फिल्म व फोटो को सार्वजनिक करने की धमकी देते हुए बार-बार बलात्कार व ज्यादती की थी। मृतका ने अपने सुसाईड नोट में लिखा था कि पाखण्डी रोतान सिंह 04 सितम्बर 2016 को उसके घर में अकेले होने का फायदा उठाकर उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। जिसके बाद यह क्रम जारी रहा।
विरोध करने पर अभियुक्त उन तस्वीरों व विडियो को सोशियल मीडिया पर डाले जाने की धमकी देता था। जिसके कारण वह इस बाबत अपने परिजनों को भी जानकारी नहीं दे पाई। पीडि़ता ने सुसाईड नोट में यह भी लिखा था कि रोतान सिंह उसे बहुत परेशान करता था। यहाँ तक की मारता-पीटता भी था। ना तो टाईम से रोटी खाने देता था एवं ना ही चैन की सांस लेने देता था। सुसाईड नोट में मृतका ने अभियुक्त को सजा दिलवाने की माँग करते हुए यह भी लिखा था कि भविष्य में वह किसी भी लडक़ी की जिन्दगी बर्बाद ना कर पाये। इसके बाद पीडि़ता ने 19 नवम्बर 2017 को अपने पुराने मकान में जाकर फांसी लगाकर आत्महत्या भी कर ली थी।
मामले में मृतका के पिता ने पनियाला थाने में सम्बंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था। जिसके बाद पुलिस ने परिजनों के बयान व सुसाईड नोट बरामद करके जाँच शुरू की थी। लेकिन आरोपित ने पुलिस की जाँच में कोई भी सहयोग नहीं किया। यहाँ तक की न्यायालय में भी नियमित रूप से उपस्थित नहीं हुआ।
मृतका के पिता ने बताया कि न्यायालय द्वारा सुनाये गये फैसले से राहत की सांस ले रहे है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता नित्येन्द्र मानव ने भी इस पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि मुल्जिम को सजा तक पहुँचाने के लिए वर्षो तक संघर्ष करना पड़ा।
देश की न्यायिक प्रक्रिया को ऐसे गंभीर अपराधों को लेकर विशेष निगरानी बरतनी चाहिये। मृतका के पिता ने मामले में पुलिस व सिस्टम द्वारा बरती गई लापरवाही के बावजुद अभियुक्त को सलाखों के पीछे पहुँचाने के लिए लगातार संघर्ष किया।