नारेहडा:(संजय जोशी) नेत्रदान सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि इस दान से दो जिंदगिया रोशन होती है। जिंदगी भर जिस शख्श ने कभी दुनिया नही देखी और केवल अंधेरे में ही जिया, उनकी आखों में रोशनी आ जाए तो इससे खुशी की बात और क्या हो सकती है। धीरे धीरे ही सही लेकिन समाज नेत्रदान के प्रति जागरूक हो रहा है। लोग चाहते है कि मृत्यु पश्चात भी लोगों का भला करें।
इसलिए मरणोपरात नेत्रदान की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ऐसा ही निकटवर्ती ग्राम भोजावास निवासी 36 वर्षीय रामवतार कुमावत की मौत के बाद भी उनकी आंखें रोशनी देती रहेंगी। रामवतार की मौत के पश्चात उसके भाई मुकेश कुमार की सहमति से नेत्रदान करवाया गया। इस नेक कार्य में गोकुल कुमावत, हैप्पी शर्मा की अहम भूमिका रही।
12 दिसंबर को हुआ था निधन –
इस सबंध में हैप्पी शर्मा ने बताया कि रामवतार की मोटरसाईकिल से कोटपूतली जाते समय दुर्घटना हो गई थी, जिसका जयपुर के एसएमएस में इलाज के दौरान 12 दिसंबर को मृत्यु हो गई थी। नेत्रदान भी उसी दिन एसएमएस अस्पताल में आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान में ही हुआ। अंतिम संस्कार 13 दिसंबर को गांव भोजावास में किया गया।