November 24, 2024
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जयपुर (जे. पी शर्मा) श्री सत्य साई महिला महाविद्यालय,भोपाल के हिन्दी विभाग व साहित्यिक समिति द्वारा राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त तथा गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई गई।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती उषा सक्सेना उपस्थित रहीं। उन्होंने गुप्त जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यक्ति का व्यक्तित्व ही उसके कृतित्व में झलकता है ,यही अमरत्व है। मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्र प्रेम एवं जनजागरण के कवि रहें हैं,उनकी रचनाएं कालजयी हैं।

वह राष्ट्रप्रेम के प्रणेता, जनमानस के निर्माता तथा प्रकृति प्रेमी भी रहे हैं।उनका मानवतावादी दृष्टिकोण एवं उदात्त भावना सर्वथा पूज्य है।इसी के साथ उन्होंने पंचवटी, यशोधरा, साकेत तथा भारत -भारती से कुछ पंक्तियां भी पढ़ीं।इसी के साथ गोस्वामी तुलसीदास के जीवन से जुड़े कई रोचक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि रामचरितमानस देश की अमूल्य निधि है। हमें उसकी शिक्षा और मर्म को ग्रहण करना चाहिए।

तुलसीदास के राम मर्यादा पुरुषोत्तम , आज्ञाकारी , कर्त्तव्यपरायण हैं। कर्तव्य के साथ ही अधिकारों की पूर्ति है। समाज और परिवार के बीच के कर्तव्य को हमें समझना होगा। भगवान श्रीराम ने अधर्म के नाश हेतु ही अवतार लिया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ आशा अग्रवाल ने गुप्त जी की कविता विचार लो कि मृत्यु है , वही मनुष्य है,जो मनुष्य के लिए जिए…का पाठ किया तथा सामाजिक समरसता की बात कही।

इस अवसर पर आसना तिरके बी..काम.तृतीय वर्ष ने गोस्वामी तुलसीदास जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा भारती कुमारी एम. ए.तृतीय समसत्र ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी प्रस्तुत की।
इस अवसर पर वैष्णवी राय बी .ए.तृतीय वर्ष द्वारा प्रस्तुत रामचरितमानस की नीति परक चौपाइयों की संगीतमयी प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इसी कड़ी में महिमा सिसौदिया, एम .ए.प्रथम समसत्र ने गुप्त जी की कविता ‘मस्तक ऊंचा हुआ मही का’ पाठ किया। स्वरचित काव्यपाठ करते हुए.. कीर्ति लालचंदानी,बी.ए.तृतीय वर्ष ने वर्षा ॠतु का मानवीकरण करते हुए मैं बारिश हूं… तथा परिधि सक्सेना ,बी ए.तृतीय वर्ष ने.वो अकेला खड़ा था… गोस्वामी तुलसीदास पर केंद्रित अपनी कविता पढ़ी। कार्यक्रम का संचालन तीशा नेमा ,बी.काम . द्वितीय वर्ष ने किया ‌तथा रूपरेखा एवं स्वागत भाषण हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ . अनुपमा चौहान ने किया।

आभार प्रदर्शन हिन्दी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ.मनीषा त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राध्यापिकाएं एवं छात्राएं उपस्थित रहीं।

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