राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी ने मांगे प्रस्ताव
कोटपूतली :(संजय कुमार जोशी)
प्रदेश भर में नये जिलों के गठन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा हाल ही के बजट में सेवानिवृत आईएएस राम लुभाया की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी प्रदेश में नये जिलों के पुर्नगठन/सृजन के सम्बंध में 6 माह के भीतर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
उल्लेखनीय है कि कोटपूतली को जिला बनाने की माँग आजादी के बाद से ही चली आ रही है। विगत लगभग 70 वर्षो में विभिन्न स्तर से यह माँग राज्य सरकार के समक्ष उठाई गई है। प्रदेश में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सरकार बनने एवं कोटपूतली से कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह यादव के चुनाव जीतकर गहलोत सरकार में मंत्री बनने से इसी कार्यकाल में कोटपूतली को जिला बनाये जाने की प्रबल सम्भावनायें है।
इस सरकार के कार्यकाल में कोटपूतली को कृषि महाविधालय, राजकीय बीडीएम अस्पताल को जिला अस्पताल में क्रमोन्नत करने, नगर पालिका को नगर परिषद् में क्रमोन्नत करने, कस्बे के लिए सीवरेज लाईन स्वीकृत करने, नारेहड़ा-पनियाला के लिए बाईपास स्वीकृत करने एवं मिनी सचिवालय व पुलिस लाईन के लिए ग्राम कालुहेड़ा में जगह चिन्हित करने जैसी योजनायें भी मिली है। जिससे क्षेत्रवासियों को कोटपूतली को जिला बनाये जाने की उम्मीद जगी है। इसी क्रम में गठित कमेटी की बैठक भी विगत 5 मई को आयोजित हुई थी।
कमेटी की बैठक में लिए गये निर्णयों के अनुसार बैठक में नवीन जिला बनाये जाने हेतु प्राप्त माँगों व प्रस्तावों पर चर्चा की गई। वहीं इस सम्बंध में राजस्व विभाग के विशिष्ठ शासन सचिव विश्राम मीणा ने प्रदेश भर के जिला कलक्टर्स को नये जिलों के पुर्नगठन व सृजन के सम्बंध में प्रस्ताव भिजवाने के निर्देश दिये है। जिसके तहत जिला स्तर पर नवीन जिलों के सृजन को लेकर स्थानीय सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधियों व आमजन से प्रस्ताव व ज्ञापन प्राप्त किये जायेगें।
उक्त प्रस्ताव व ज्ञापनों का जिला स्तर पर परीक्षण कर स्पष्ट अभिशंषा मय टिप्पणी राजस्व मंडल को भिजवाने के निर्देश दिये है। जरूरत होने पर सम्बंधित सम्भागीय आयुक्त से भी स्पष्ट अभिशंषा प्राप्त की जा सकेगी। नवीन जिलों के सृजन के लिए जिले की भौगोलिक स्थिति, माँग की पृष्ठभूमि, जनसंख्या, जिला मुख्यालय से दुरस्थ तहसील की दुरी, जिला पुर्नगठन का औचित्य एवं नवीन जिले की आवश्यकता, प्रस्तावित जिले की न्यूनतम तहसील संख्या, उपलब्ध प्रशासनिक आधारभूत संख्या, पिछड़ापन, गरीबी की स्थिति के दृष्टिगत विकास, सुशासन एवं सुप्रबंध, त्वरित अभाव अभियोग निस्तारण के अंदर 15 दिन के भीतर रिपोर्ट भिजवाने के निर्देश दिए गए है।
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