जयपुर – मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को अपना चौथा बजट पेश कर दिया। इस बजट के जरिए मुख्यमंत्री गहलोत ने आम और खास सभी वर्ग को साधने की कोशिश की। खासतौर से सरकार से नाराज चल रहे कर्मचारियों के लिए सीएम गहलोत ने जमकर घोषणा की। लेकिन कर्मचारियों का एक तबका ऐसा है जो सरकार की इन घोषणाओं के बावजूद निराश हुआ है। बजट से मायूस संविदा कर्मचारियों ने विरोध के रूप में काली पट्टी बांधकर काम किया।
NUHM प्रबंधकीय संविदा कार्मिक संघ ऑफ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश मीणा ने कहा कि संविदा कर्मचारियों की नाराजगी है। चुनाव के दौरान घोषणापत्र में कांग्रेस ने वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो प्रदेश के संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा। लेकिन बड़ा दुर्भाग्य है कि सरकार ने उस घोषणापत्र को सरकारी दस्तावेज बनाने के बावजूद भी प्रदेश के 80 हजार से ज्यादा संविदा कर्मचारियों को धोखा दिया है।
संविदा कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार अपने चौथे बजट में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का को रास्ता निकालेगी। लेकिन बावजूद इसके इस चौथे बजट से भी संविदा कर्मचारियों को मायूसी हाथ लगी है । NUHM प्रबंधकीय संविदा कार्मिक संघ ऑफ राजस्थान महिला प्रभारी अनुपमा पारीक ने कहा कि सरकार से चिकित्सा विभाग के संविदा कर्मियों को बहुत उम्मीद थी। जिन चिकित्सा विभाग के संविदा कर्मचारियों ने कोरोना काल मे सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम किया।
कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य किया। लेकिन चुनावी घोषणा पत्र में वादा करने के बाद भी सरकार ने इसे बजट में पूरा नहीं किया है।इसी के विरोध में सभी जिलों में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पब्लिक हेल्थ मैनेजर और अकाउंटेंट ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया।उन्होंने कहा कि मांगें नहीं मानने पर कार्य बहिष्कार किया जाएगा।