November 24, 2024
IMG-20211016-WA0009

जयपुर- राजधानी जयपुर के पिंकसिटी प्रेस क्लब में सवाई माधोपुर के उपखण्ड मलारना डूंगर की ग्राम पंचायत सांकडा का गाँव हरिरामपुरा के निवासियों ने अखिल भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान संघर्ष समिति के बैनर तले प्रेस वार्ता कर गाँव हरिरामपुरा के किसानों-पशुपालको और आमजन की आम समस्या का दुःखडा व्यक्त किया है।अपने गाँव की दुर्दशा को लेकर काँग्रेस पार्टी की कर्ताधर्ता सोनिया गाँधी,राहुल गाँधी,प्रियंका गाँधी से लेकर के.सी.वेणुगोपाल,अशोक गहलोत मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार,अजय माकन, राजस्थान सरकार के सभी मन्त्री महोदय / महोदया ,दानिश अबरार विधायक सवाई माधोपुर, कलेक्टर सवाई माधौपुर,जिला वनविभाग अधिकारी,सवाई माधोपुर,वन विभाग चौकी इंचार्ज मलारना स्टेशन,मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद सवाई माधोपुर जिला अधिकारी व मलारना डूंगर अधिकारी,लोक निर्माण विभाग सवाई माधोपुर जिला अधिकारी व मलारना डूंगर अधिकारी,उपखंड अधिकारी मलारना डूंगर,तहसीलदार मलारना डूंगर से गुहार लगा चुके ग्रामीणों ने लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के समक्ष अपनी व्यथा व्यक्त की

अखिल भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉ.ऋषिकेश मीणा हरिरामपुरा ने प्रेस वार्ता में बताया कि राजस्थान प्रदेश का जिला सवाई माधोपुर के उपखण्ड मलारना डूंगर की ग्राम पंचायत सांकडा का गाँव हरिरामपुरा जो लगभग सन 1910 से यहाँ पर स्थित है गाँव की आवादी लगभग 550 है जिसमे से 240 मतदाता है ग्रामीणों ने आज तक पंचायत चुनाबो में,विधानसभा व लोकसभा चुनाबो में भारतीय नागरिकता का अपना-अपना परिचय देते हुए अपने अमूल्य मतदान का सभी चुनाबो मे बढ़ चढ़कर मतदान व समर्थन करते आ रहे है साथ ही जब भी गाँव मे सरकार का कोई भी अधिकारी-कर्मचारी आए हो या फिर जनप्रतिनिधि ( सरपंच,बिधायक,सांसद ) आए तो गाँव वालो से जैसी टूटी-फूटी सेवा बनी वैसी सेवा गाँव वालो ने की परन्तु आज तक गाँव हरिरामपुरा को केंद्र व राज्य सरकार की किसी भी योजना का लाभ नही मिला है।

गाँव हरिरामपुरा करौली-सवाई माधोपुर की सीमा पर व सवाई माधोपुर विधानसभा की लास्ट सीमा पर स्थित है हरिरामपुरा के पूर्व एवं उत्तर दिशा में नदियां है जो कि करौली जिले की सीमाओं से सटी हुई है दक्षिण दिशा में वई के नाला के नाम से एक बड़ा नाला पड़ता है पश्चिम दिशा में ग्राम पंचायत सांकडा मुख्यालय 3.250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है साथ ही 1.70 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में नव सृजित ग्राम पंचायत श्यामोली स्थित है। हरिरामपुरा गाँव को आज तक के सभी सरपंचों ने,आज तक के सभी विधायकों ने,आज तक के सभी सांसदों ने,सभी आला अधिकारियों ने लावारिस समझा है,पराया समझा है व दूसरे देश के हिस्से जैसे समझा है अभी तक इन सभी ने हरिरामपुरा गाँव के साथ दुर्व्यवहार किया है दोगलापन किया है सौतेला व दोगलेपन का रवैया दिखाया है हर बार इन सभी ने गाँव वालों को विकास के नाम पर लॉलीपॉप दिया है। हरिरामपुरा गांव आजतक सभी मूलभूत सेवाओ से पूरी तरह से वंचित रह रहा है गाँव के लिए आज वर्तमान समय मे चारो दिशाओं में से किसी भी दिशा में आने जाने के लिए कोई भी पथ मार्ग व सड़क मार्ग नही है वर्षा के दिनों में तो गाँव दोनो तरफ से मोरेल नदी व काडी शिल नदी में बर्षात का भारी पानी आने से घिर जाता है दक्षिण दिशा में नव सर्जित ग्राम पंचायत श्यामोली की ओर जाएं तो उधर वई का नाला जिसमें भी बर्षात का पानी बेकाबू तरीके से आता है पश्चिम दिशा में गाँव की ग्राम पंचायत सांकडा की ओर जाए तो उधर अनावश्यक तरीको से बिना मतलब के बिना ग्राम पंचायत को सूचित किये बिना राज्य सरकार के आदेशों के बिना कोई नियम के ही सवाई माधोपुर कलेक्टर के मौखिक आदेश से ही वन विभाग ने रणथंभौर वानिकी परियोजना के नाम से हरिरामपुरा गाँव के आम कच्चे रास्ते को गहरे गड्ढे खोदकर बन्द किया हुआ है

साथ ही गाँव हरिरामपुरा और गाँव सांकडा के दर्जनों किसानों की भूमि जिस पर किसान चार-पाँच पीढ़ियों से खेती करके अपने-अपने परिवारों को पाल रहे थे आज उन्ही किसानों में से कुछ किसानों के परिवारों की भूखे मरने की नोबत आ गयी है दो साल से यह परिवार अन्य गाँवो के किसानों की जमीनों में साझेदारी पर दिहाड़ी मजदूरी करके व दुसरो के खेतों में सब्जियां लगाकर उनके पढने वाले बच्चे बी.ए.-बीएससी पास,एम. ए पास,बी.एड.पास,आईटीआई पास , पोलोटेक्निकल पास ,बीटेक पास आदि आदि डिग्रियां लेकर भी मजबूरन बेबस लाचार होकर दुसरो के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी कर दुसरो के खेतों में सब्जियां लगाकर सब्जी का ढकोला अपने सर पर रख कर सब्जी बेचने के लिए गाँव-गाँव चक्कर लगाकर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त करते है जिससे ऐसे पढ़े लिखे बच्चो का भविष्य अंधकार में डूब गया क़्योंकि जब दो वक्त का खाना ही घर मे नही हो तो फिर ऐसी स्थिति में पढ़ाई करना तो बहुत दूर की बात है,बेटे-बेटियों की शादी की जिम्मेदारिया,बहन-बेटियों के भात-जामणो की जिम्मेदारिया,बीमारियों के इलाज की जिम्मेदारिया, मवेशियों को पालने की जिम्मेदारिया,घर पर आए हुई मेहमानों की महमानवाजी की जिम्मेदारिया,बैंक या किसी साबुकार से अपनी जरूरतों को पूरा करने लिए लिए गए कर्ज के बोझ की जिम्मेदारीया इन सभी जिम्मेदारीयो को बिना जमीन-खेती के कैसे पूरा कर पायेंगे ये भूमिहीन गरीब-बेबस -दुःखी किसान इन किसानों के परिवार वालो ने कई बार तो खाने में सब एक साथ जहर खा कर अपनी जीवन लीला को समाप्त करने तक के विचार बनाए क़्योंकि इन किसानों के पास अब और कोई दूसरा रास्ता नही बचा हैसवाई माधोपुर के कलेक्टर ने जिस एरिया में एक जानवर भी नही है आज तक ऐसे एरिया को किसानों की सेकड़ो बीघा भूमि को, हरिरामपुरा को जाने वाले आम कच्चे रास्ते को,नाथ समाज के समशान घाट को,भैरू बाबा पे जाने वाले रास्ते को कलेक्टर ने बिना सोचे समझे अनावश्यक तरीके-नियम लागू कर रणथंभौर वानिकी परियोजना के नाम करवा दी है

जो हर तरह से सरासर गलत है कलक्टर सवाई माधोपुर, राजस्थान सरकार,वनविभाग अधिकारी ने इस तरह के बेबुनियाद नियम लगाकर सांकडा – हरिरामपुरा के दर्जनों किसानों की सेकड़ो बीघा भूमि को छीन कर किसानो की हत्या की है,गरीब किसानों को बेबस कर मरने को मजबूर कर रहे हो जबकि रणथंभौर यहाँ से लगभग 60-70 किलोमीटर की दूरी पर है मै डॉक्टर ऋषिकेश मीणा हरिरामपुरा पूछता हूं कि हमारे देश की कौनसी किताब में लिखा है,कोनसे कानून में लिखा है,कोनसे धार्मिक ग्रंथो में लिखा है,भारतीय संविधान के कोनसे पन्ने पे ऐसा लिखा है कि भारत के किसी भी गाँव के आम रास्ते को बन्द कर दिया जाए, भारत के किसी भी गाँव को चारों दिशाओं में किसी भी ओर रास्ता नही दिया जाए,भारत के किसी भी समाज के समशान घाट की जमीन को जबरन छीन लिया जाए लाशों को दफनाने से बन्द कर दिया जाए,भारत के किसी भी धार्मिक स्थल पर जाने वाले आम रास्ते को बन्द कर जबरन छीन लिया जाए,पशुपालको को अपनी मवेशियों को जंगल मे चराने से मना किया जाता है जबाब दीजिये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान सरकार के मन्त्री व विधायक और सवाई माधोपुर कलक्टर,वन विभाग अधिकारी,उपखण्ड अधिकारी मलारना डूंगर, तहसीलदार मलारना डूंगर साहब ऐसे तो सब कुछ ही सरकार का ही है पूरा देश सिवाय चक – गोचरा है देश के 98 प्रतिशत गाँव गोचरा-सिवाय चक भूमि में ही वसे हुए है हड़पलो और गाँव के गरीब लोगों को बेघर करदो और सारी की सारी भूमि को करलो सरकार के नाम और गरीब किसानों को,गरीब गाँव वालों को घुट-घुट कर भूखे मरके मरने के लिए छोड़ दो क़्योंकि सरकार के पास, विधायको के पास,मंत्रियों के पास,कलेक्टर के पास,वनविभाग के अधिकारियों के पास,उखण्ड अधिकारी के पास कोई नीति नियम और धर्म तो है नही अगर है तो चारो ओर से किसानों को,पशुपालको को परेशान करने के नियम है बस।

डॉ. ऋषिकेश मीणा ने कहा कि हरिरामपुरा गाँव मे चिकित्सा की कोई भी तरह की व्यवस्था नही है प्रशासनिक एवं जन प्रतिनिधियों की उपेक्षाओ का दंश झेल रहा मेरा गाँव हरिरामपुरा विकास से कोसो मिलो दूर है केंद्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का भी लाभ अभी तक ग्रामीणों को नही मिला है। प्रसूति महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर व किसी का भी स्वास्थ्य खराब होने पर गाँव वाले उन्हें चार पाई ( घाट ) पर डालकर 8 किलोमीटर हाडौती अस्पताल,12 किलोमीटर मलारना स्टेशन अस्पताल,6 किलोमीटर निमोदा स्टेशन बंगाली डॉक्टर के पास,22 किलोमीटर मलारना डूंगर अस्पताल ले जाते है भारी बीमारी या प्रसूता को ज्यादा परेशानी होने पर 60 से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर जिला मुख्यालय सवाई माधोपुर अस्पताल ले जाते है जिससे आज तक कई बार प्रसव पीड़ा के दौरान लगभग आधा दर्जन जच्चा व बच्चो की जान भी जा चुकी है इतना ही नही गाँव हरिरामपुरा के लोग बरसात के दिनों में तो अपने वाहनों जैसे बैलगाड़ी ऊँटगाड़ी साइकल मोटरसाइकिल ट्रेक्टर आदि आदि को ग्राम पंचायत मुख्यालय सांकडा 3.250 किलोमीटर की दूरी पर ही या फिर दूसरी तरफ नव सर्जित ग्राम पंचायत श्यामोली 1.70 किलोमीटर की दूरी पर ही रख कर पेंट पजामे धोती लहंगे उठाकर गिरते पड़ते कठिन समश्याओ का सामना करते हुए गाँव पहुँचते है,तीसरी तरफ सपोटरा क्षैत्र के किसी भी गाँव की तरफ से आते है तब नदी पार 800 मीटर की दूरी पर मोरेल और काडी शिल नदी के संगम पर शिव शंकर भगवान का ( चोच का महादेव ) बहुत बड़ा धार्मिक स्थल है जहाँ पर अपने वाहन रखकर जान जोखिम में डाल कर नदी पार करनी पड़ती है साहब जिसमे कई बार हादसे भी हो गए ये रास्ता मेरे गाँव हरिरामपुरा की सपोटरा क्षैत्र के गाँवो की 98 प्रतिशत रिश्तेदारी व हमारे पुरखो की निकास वाली भाई बन्दी से सम्बन्धित है। मेरे गाँव की ज्यादातर रिश्तेदारी सपोटरा क्षैत्र में है इसलिए हरिरामपुरा से सपोटरा के क्षैत्र में जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती है और ये रास्ता बहुत ही अतिमहत्वपूर्ण हैहरिरामपुरा गाँव की आबादी 550 होने के बाद भी गाँव मे बालको को शुरुआती पोषाहार के लिए आंगनबाड़ी पाठशाला भी नही है।

हरिरामपुरा गाँव से अन्य गाँवो के उच्च प्राथमिक विद्यालयो व माध्यमिक विद्यालयों की दूरी लगभग 4 से 5 किलोमीटर की दूरी होने के बाबजूद भी आज तक हरिरामपुरा गाँव मे उच्च प्राथमिक विद्यालय नही है,किसी भी प्रकार का विद्यालय के बच्चो को खेलने के लिए विद्यालय का कोई खेल मैदान नही है। हरिरामपुरा गाँव के मवेशियों को चर विचरण करने के लिए भी कोई जगह नही है इसलिए गाँव वालो को मजबूरन अपनी-अपनी मवेशियो को घर ही बाड़े में बांधे रखना पड़ता है जिसकी वजह से गाँव के गरीब किसानों पर मवेशियो को दिन भर चारा बांट खिलाना बहुत भारी पड़ता है जिसकी वजह से ग्रामीणों को आर्थिक स्थिति से जूझना पड़ता है। हरिरामपुरा गाँव के बच्चो के खेलने के लिए बच्चो को अपना शारीरिक विकास बढ़ाने के लिए कोई खेल मैदान भी नही हैजिसकी बजह से गाँव के बच्चो के अन्दर जो काबिलियत है वो बिना खेल मैदान के आगे अपने अन्दर की योग्यता को आगे नही बढ़ा पा रहे है। हरिरामपुरा गाँव के लिए किसी भी प्रकार की शुध्द पेयजल की भी व्यवस्था नही है ग्रामीणों को फ्लोराइड वाला पानी पीना पड़ रहा है जिसकी वजह से ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार के रोग-विकार की समश्या रहती है। विधानसभा चुनाव 2018 के समय मेरे गाँव वालों ने उपखण्ड अधिकारी मलारना डूंगर के लिखित में पत्र देकर वोटो का बहिष्कार किया तो वोटो का बहिष्कार करने की खबर मीडिया में आने के बाद काँग्रेस उम्मीदवार दानिश अबरार घबरा गए और उसी समय काँग्रेस पार्टी के उम्मीदवार मेरे लाडले आदरणीय बड़े भाई साहब श्री दानिश अबरार जी मेरे गाँव पहुँचे और गाँव वालो से मन्दिर के सामने व पंच प्रांगण में गाँव वालो से गंगा जमुना करके कसम खाई और वायदा किया कि जीतने के छः माह के अन्दर-अन्दर आपके गाँव को चारो तरफ से पक्की सड़क से जोड़ दूँगा नदी में होकर सपोटरा क्षैत्र को जाने वाले रास्ते मे पक्की सड़क व नदी में रपट-पुलिया जो उचित होगी जरूर से जरूर बना दूँगा गाँव की अन्य जितनी भी समश्या है उनका भी समाधान अवश्य करूँगा यह अबरार अहमद के बेटे दानिश अबरार के बचन है आप सभी ग्राम वासी मेरे ऊपर भरोसा विस्वाश कीजिये अतः इसी आधार पर गाँव की जनता को विस्वाश करते-करते आज राजस्थान सरकार के तीन साल पूरे होने को जा रहे है लेकिन विकास के नाम पर लॉलीपॉप थमा रखा है इतना ही नही विकास तो बहुत दूर की बात है विधानसभा चुनाब 2018 के बाद हरिरामपुरा गाँव से ग्राम पंचायत मुख्यालय सांकडा को जाने वाले रास्ते को की भी JCB से खड्डे खोदकर सरकार ने जबरन हड़प लिया है साथ ही दर्जनो किसानों की जमीन भी सरकार ने जबरन हड़पली जो अब मेरी राजस्थान सरकार कान खोलकर सुनले,बन्द आँखों को अच्छे से खोल कर देखले की मेरे गाँव के पशु पालकों को वन विभाग द्वारा जंगल मे मवेशी चराने से रोका गया तो में डॉ.ऋषिकेश मीणा स्वयं सैकड़ो पशु पालकों के साथ जंगल मे उतरकर मवेशी चराऊँगा साथ ही डॉ.मीणा ने कहा कि हमे सेंक्चुरी बनने से कोई आपत्ति नही है और न ही पशुपालकों को कोई आपत्ति है।लेकिन हमारे पशुपालकों की मवेशियो को चरने के लिए जंगल का क्षैत्र निर्धारित किया जाए,किसानों की जमीन किसानों को यथावत किसानों को सुपुर्द की जाए,सांकडा से हरिरामपुरा को जाने वाले रास्ते को हरिरामपुरा गाँव के लिए पूर्व से चलते आ रहे कच्चे रास्ते उसी जगह पर होकर ही हरिरामपुरा गाँव के नाम किया जाए,नाथ समाज के समशान घाट को यथावत नाथ समाज के नाम कर सुपुर्द किया जाए,धार्मिक स्थल भैरू बाबा पर जाने वाले रास्ते को ग्राम पंचायत के नाम कर सुपुर्द किया जाए ये हमारी माँग है। वन विभाग पशुपालको के साथ भेदभाव करते हुए मवेशियों को रोक रहा है जहाँ वर्षों से मवेशी चराई जा रही है ऐसे में तो हमारे पशुपालक भूखे मर रहे है। अगर राजस्थान सरकार ने,सरकार के विधायक-मन्त्रियों ने,सरकार के अधिकारियों ने हमारी बात नही मानी,हमारी तमाम समश्याओ का समाधान नही किया तो सभी गाँव वालों को साथ लेकर हाथों में तीर कमान-भाले-गंडासे-दाँतड़े-कुल्हाडी-फावड़े लेकर के वन विभाग के द्वारा जबरन कब्जा की हुई जमीन पर चढ़ाई करेंगे क़्योंकि ये जल-जंगल-जमीन सब हम आदिवासियों के है,हम किसानों के है,हम गाँव वालों के है,हम पशुपालको के है। चाहे हमारी जान ही क़्यों नही चली जाए पर हम किसान-पशुपालक गाँव वाले हमारे जल-जंगल-जमीन को किसी भी हालात में सरकार को हड़पने नही देंगे। इसलिए तमाम समश्याओ का तत्काल प्रभाव से समाधान किया जाए और यदि सरकार गाँव की समश्याओ का समाधान नही कर सकती है तो गाँव के लोगो को जहर दे दो क़्योंकि अब हमसे इन सभी समश्याओ से होने वाले कष्ठ और पीड़ाओं का दुखः और बर्दास्त नही होता साहब समय रहते हुए अगर मेरे गाँव की तमाम समश्याओ का समाधन नही किया गया तो ग्रामीण अब सामूहिक आत्महत्या को मजबूर होंगे जिसमें काँग्रेस सरकार के विधायक मन्त्रियों और सरकार के अधिकारियों की अनदेखी और मनमानी वाली प्रणाली,किसानों व पशुपालको के साथ,गरीबो के साथ किए जा रहे अन्याय को मीडिया के माध्यम से बार बार पूरे देश को दिखाऊँगा और इसके बाद भी मेरे गाँव की तमाम समस्याओ का समाधान नही किया तो में डॉ.ऋषिकेश मीणा हरिरामपुरा जिला कलक्ट्रेट परिसर सवाई माधोपुर के परिसर में खड़े होकर अपने शरीर पर पैट्रोल डाल कर आग लगाकार आत्महत्या करूँगा क़्योंकि मे अधिकारियों के दफ्तरों के और राजनेताओं के दफ्तरों में इनके बगलों पर जा जाकर इनके चरणों मे अरदास करता-करता,प्रार्थना करता-करता,चक्कर लगाते लगाते अब थक चुका हु साहब जिसकी समस्त जिम्मेदारी विधायक दानिश अबरार,अशोक गहलोत साहब,सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी,अजय माकन,के.सी.वेणुगोपाल,वर्तमान राजस्थान सरकार के मन्त्रियों, कलक्टर सवाई माधोपुर,वनविभाग अधिकारी सवाई माधोपुर,उपखंड अधिकारी मलारना डूंगर,तहसीलदार मलारना डूंगर,गिरदावर सांकडा पंचायत,पटवारी सांकडा पँचायत,सरपँच ग्राम पंचायत सांकडा,ये सभी अधिकारी कर्मचारी और नेता जिम्मेदार होएंगे क़्योंकि ये सभी में से किसी ने भी मेरे गाँव हरिरामपुरा की इन गंभीर समस्याओ का समाधान नही किया जो बहुत ही घोर अन्याय और दुःख की बात है।क्योकि ग्राम पंचायत साकड़ा में 2 अक्टुम्बर 2021 को प्रशासन गाँवो के संग अभियान में उक्त सभी समस्याओ में से किसी भी समस्या का कोई समाधान नही हुआ अभियान में उपस्थित सभी कर्मचारी अधिकारी और उपस्थित सभी नेता दिखावे का आस्वासन झूटी दिलासा और समाधान के नाम पर लोलीपॉप थमा कर चले गये |प्रमुख मांगे , विशेष बिंदु :- 1. गांव साकड़ा व गांव हरिरामपुरा के किसान जिस भूमि पर चार पञ्च पीढ़ी से खेती करते है आ रहे उसी भूमि को वन विभाग ने जहाँ जहाँ होकर अनावश्यक रूप से अपने कब्जे में लि है उस भूमि को वन विभाग से यथावत साकड़ा व हरिरामपुरा के किसानो को सुपुर्द की जाए |2. ग्राम पंचायत साकड़ा के नाथ समाज जो सैकड़ो वर्षो से जिस शमशान घाट में धार्मिक, संवैधानिक निति नियम व धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करते आ रहे है उस ही शमशान घाट को भी वन विभाग ने अनावश्यक तरीको से अपने कब्जे में कर लिया है जो घोर पाप और अन्याय है, जिसे यथावत पूर्व कि भांति नाथ समाज को सुपुर्द की जाए |3. ग्राम पंचायत साकड़ा के धार्मिक स्थल भैरो बाबा पर जाने वाले रास्ते कि जमीन को भी वन विभाग ने अनावश्यक रूप से अपने कब्जे में ले लिया है उस रास्ते को भी भैरो बाबा पर जाने के लिए ग्राम पंचायत साकड़ा के नाम कर पक्की सड़क बनाई जाए |4. गांव साकड़ा व गांव हरिरामपुरा की मवेशियो को चर-विचरण करने के लिए क्षेत्र निर्धारित किया जाए |5. ग्राम पंचायत साकड़ा मुख्यालय से लेकर राजस्व गांव हरिरामपुरा को जाने वाला कच्चा रास्ता जिसको अनावश्यक रूप से वन विभाग ने अपने कब्जे में कर लिया है अतः इस रास्ते को ही पूर्व से चलते आ रहे साकड़ा से हरिरामपुरा को जाने वाले कच्चे रास्ते पर होकर ही पक्की सड़क बनवाई जाए न की अन्य किसी जगह पर होकर, हमें सुनने में आया है की सरकार गिर्राज जी कि परिक्रमा भांती 3 कि.मी. का ज्यादा घुमाव देकर उल्टी पुल्टी जगह होकर सड़क बनाने का प्लानिंग कर रही है, अगर यह सही है तो हमें इतना बड़ा घुमाव देकर अटपटी जगह होकर हमें सड़क कतई नही चाहिए, सरकार को अगर सड़क बनानी है तो साकड़ा से हरिरामपुरा को जाने वाले पूर्व से चलते आ रहे कच्चे रास्ते पर होकर ही पक्की सड़क बनाये |

Tehelka news