November 24, 2024
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  • माखुपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में शंकर फतहपुरिया का ढलाई खाना सीज।
  • पुलिस सुरक्षा मापदंडों की भी जांच करेगी।चुंगी नाका की भूमि की नीलामी को रद्द करने की मांग।
  • पार्षद शेखावत और रलावता ने अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया।

अजमेर:(मनोज प्रजापत)अजमेर के माखुपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में शंकर फतहपुरिया के ढलाई खान में 7 अक्टूबर को श्रमिक राजेंद्र और सुपरवाइजर मोहनलाल माली की मौत हुई, उसके बाद सवाल उठता है कि क्या अजमेर के कारखानों में सुरक्षा के मापदंडों पर खरे उतरते हैं या नहीं? कहा जा रहा है कि शंकर फतहपुरिया की आशुतोष इंडस्ट्री में केमिकल पदार्थ का एक होद है, इस होद में शुगर मिलों से निकला वेस्ट गर्म किया जाता है। केमिकल युक्त वेस्ट का उपयोग लोहे के उपकरण के लिए बनने वाले सांचों में काम आता है, ऐसे सांचे ऊंची कीमत पर बिकते हैं।

7 अक्टूबर को केमिकल पदार्थ का होद में लेवल देखने के लिए ही श्रमिक राजेंद्र गया था, लेकिन जैसे ही होद का ढक्कन खोला वैसे ही केमिकल की गैस से वह बेहोश होकर होद में गिर गया। राजेंद्र को बचाने के लिए सुपरवाइजर मोहनलाल माली होद में कूदा, लेकिन केमिकल से भरे होद में दोनों बच नहीं सके। हालांकि अब मृतकों के परिजनों और कारखाना मालिकों के बीच समझौता हो रहा है, लेकिन आदर्श नगर थानाधिकारी सुगन सिंह ने बताया कि आशुतोष इंडस्ट्रीज को फिलहाल सीज कर दिया गया है। पुलिस अब इस इंडस्ट्रीज में सुरक्षा मापदंडों की भी जांच करेगी। चूंकि दो व्यक्तियों की मौत हुई है, इस मामले में इंडस्ट्री के मालिक दोषी पाए गए तो उनके विरुद्ध भी कार्यवाही होगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि औद्योगिक इकाइयों के सुरक्षा मापदंडों की जांच कारखाना निरीक्षक समय समय पर करता है। निरीक्षक को एक सर्टिफिकेट भी देना होता है, लेकिन आमतौर पर ऐसी जांच पड़ताल सिर्फ कागजों में होती है। जानकार सूत्रों के अनुसार यदि आशुतोष इंडस्ट्री में सुरक्षा के मापदंड पूरे होते तो दो कर्मचारियों की मौत नहीं होती। भले ही कुछ लाख रुपए देकर परिजन को संतुष्ट कर दिया जाए, लेकिन मौत की भरपाई नहीं हो सकती। पुलिस को कारखाना निरीक्षक की भूमिका की भी जांच करनी चाहिए।

नीलामी रद्द करने की मांग:
गजेंद्र सिंह रलावता और भाजपा के पार्षद देवेंद्र सिंह शेखावत ने गत 5 अक्टूबर को स्टेशन रोड स्थित माल गोदाम पर चुंगी नाके की 36.54 वर्ग गज भूमि की नीलामी को रद्द करने की मांग की है। दोनों पार्षदों ने बताया कि इस कमर्शियल भूखंड की नीलामी 9 वर्ष पहले 76 लाख रुपए में छूटी थी। तब इस भूखंड को श्रीमती विनीत भार्गव को देने का निर्णय लिया गया और श्रीमती भार्गव ने 19 लाख रुपए की राशि जमा भी करा दी। लेकिन तत्कालीन मेयर कमल बाकोलिया ने नीलामी की राशि कम मानते हुए नीलामी प्रक्रिया को रद्द कर दिया।

बाकोलिया का कहना रहा कि यह भूखंड शहर के सबसे व्यस्त मार्ग पर स्थित है, इसलिए इसका विक्रय मूल्य करीब एक करोड़ रुपया होना चाहिए। दोनों पार्षदों ने बताया कि गत 5 अक्टूबर को इसी भूखंड की नीलामी 82 लाख 90 हजार रुपए की गई है। यानी 9 वर्ष बाद मात्र 7 लाख रुपए अधिक में भूखंड को बेचा जा रहा है। पार्षदों ने आरोप लगाया कि इस भूखंड की नीलामी की प्रक्रिया में नगर निगम के अधिकारियों की मिली भगत रही है। इसलिए ज्यादा राशि प्राप्त नहीं हुई। संभवत: बोली दाताओं ने निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। दोनों पार्षदों ने मेयर श्रीमती बृजलता हाड़ा से मांग की है कि नीलामी का प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।

तहलका डॉट न्यूज