अजमेर/पुष्कर:(गजेंद्र कुमार)- कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर फिलहाल अक्टूबर माह की भी गाइड लाइन जारी नहीं हुई है। लेकिन नवम्बर माह में प्रस्तावित पुष्कर पशु मेला 2021 को निरस्त कर दिया गया है। ऐसे में प्रदेश ही नहीं देशभर के पशुपालकों, व्यापारियों, उद्यमियों को पुष्कर पशु मेला में होने वाली आय का नुकसान होगा वहीं स्थानीय लोगों को सालभर में कमाई का जरिया मेला नहीं लगने से फिर आर्थिक संकट के दौर से गुजरना पड़ेगा।राज्य सरकार एवं पशुपालन विभाग के प्रमुख राज्य स्तरीय पुष्कर मेला में शामिल पुष्कर पशु मेला पिछले दो सालों से आयोजित नहीं हो पाया है।
ऐसे में 5 नवम्बर से 21 नवम्बर तक होने वाला पुष्कर मेला इस बार भी नहीं होने से कृषकों एवं पशुपालकों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहे ऊंट-बैल, भैंसवंश, अश्ववंश को पालना मुश्कल हो जाएगी। हालांकि फिलहाल श्री पुष्कर मेला सलाहकार समिति की कोई बैठक भी नहीं हुई, ना ही सरकार की नई गाइड लाइन जारी हुई इसके बावजूद तुरत-फुरत में मेला निरस्त का निर्णय पशुपालकों, स्थानीय बाशिन्दों एवं व्यवसायियों के लिए किसी संकट से कम साबित नहीं होगा।मेले के संबंध में पशुपालन विभाग अजमेर के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रफुल्ल माथुर ने भी जिला कलक्टर से पूर्व में मार्गदर्शन मांगा मगर मेला निरस्त होने की जानकारी मिली। इन विभागों की भूमिका, मगर ना समीक्षा ना चर्चा पशुपालन विभाग के साथ, जिला प्रशासन, पुष्कर पालिका प्रशासन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, जलदाय विभाग सहित विभिन्न विभागों की भी मेले के आयोजन में भूमिका होती है लेकिन इनसे संबंधित जानकारी ना ली गई ना ही चर्चा की गई। यह है पुष्कर के पशु मेले का महत्व-धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यटन का महत्व है। इसमें ठेठ देहात से पशुपालक, किसानों के साथ विदेशों से पर्यटक भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
इन मेलों को किया था निरस्त-शासन ने श्री मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा (बाड़मेर) अप्रेल 7 से 23 अप्रेल तक, श्रीबलदेव पशु मेला 2021 मेड़तासिटी नागौर अप्रेल माह में, श्री गोमती सागर पशु मेला 24 से 30 मई तक एवं श्रीगोगोमेड़ी पशु मेला 2021-22 अगस्त से 20 सितम्बर तक प्रस्तावित था इन मेलों को भी पूर्व में ही निरस्त कर दिया गया।पुष्कर मेले में ऊंट वंश : अजमेर, नागौर, पाली, सिरोही, जालोर, जोधपुर, बीकामेर, बाड़मेर आदि जिलों से पशुपालक मवेशियों को लेकर पहुंचते हैं। गौ वंश : अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा, टोंक, जयपुर ग्रामीण, अश्श्वंश : अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, नागौर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चित्तौडगढ़, गंगानगर। भैंस वंश : अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा, जयपुर, सीकर, जोधपुर, पाली। इनके रोजगार व कमाई पर मार- चारा-कुट्टी विक्रेता, पशुआहार व्यवसायी, पशु संसाधन सामग्री विक्रेता, कृषि यंत्र विक्रेता, टेंट व्यवसायी, ढाबा संचालक, चाय की थड़ी संचालक, स्थानीय लोगों की व्यापारिक गतिविधियां बंद होने से आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाएगी।