जयपुर- दक्षिण मुखी बालाजी मंदिर हाथोज धाम स्थित राधा गोविंद भगवान का आज भव्य श्रृंगार करके डोले में विराजमान करके यात्रा निकाली गई यात्रा हाथोज से रवाना होकर पितावास गोपीनाथ मंदिर पहुंची वहां पर ठाकुर जी को स्नान कराकर नई पोशाक धारण कराई गई एवं फलाहार का भोग लगाया गया वहां से ठाकुर जी संपूर्ण हाथोज गांव की परिक्रमा करते हुए वापस मंदिर में विराजमान हुए!
स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने बताया कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी व्रत किया जाता है। इसे डोल ग्यारस भी कहते है।
इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु-लक्ष्मी का श्रृंगार करके खूबसूरत डोले में सजाकर यात्रा निकाली जाती है, इसलिए इसे डोल ग्यारस कहा जाता है। इसे पद्मा एकादशी और वामन एकादशी भी कहा जाता है।
शास्त्रों में इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और उनके आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। कहा जाता है इस दिन माता यशोदा का जलवा पूजन किया गया था। इसे परिवर्तनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि चातुर्मास के दौरान अपने शयनकाल में इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं।
इस अवसर पर महंत पुरुषोत्तम दास जी महाराज, पंडित गोविंद नारायण भातरा, पंडित रमेश पुजारी, गोपाल जी मंदिर पुजारी सत्यनारायण शर्मा, गोपीनाथ मंदिर पुजारी पंडित रामकिशोर शर्मा उपस्थित रहे।इस अवसर पर ग्राम वासियों ने भगवान के दर्शन कर भगवान को फल चढ़ाकर आशीर्वाद ग्रहण किया।
तहलका डॉट न्यूज