जयपुर- आधुनिक युग में शिक्षा को अहम माना गया है विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य के निर्माण के लिए बेहतर शिक्षा देने का प्रयास सरकारे अपने स्तर पर निरंतर करती आरही है!
एक विद्यार्थी के जीवन में उसे पढाये जाने वाले पाठयपुस्तको का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है! जैसा शिक्षा के मंदिर में सिखाया जाता है वही चीज़ आज का विद्यार्थी ग्रहण करता है! और अपने जीवन में अनुसरण करने का प्रयास करता है ,अगर शिक्षा विभाग द्वारा ही किसी विषय वस्तु के चयन पाठ्यक्रम में ऐसा तथ्य विचारो को शामिल किया जाए जिससे विद्यार्थियो के जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़े तो ये बात सरासर गलत है और गलत ज्ञान का परिणाम भी गलत ही होगा | ऐसा ही एक मामला देखने को मिला है कक्षा 11 की पाठ्य पुस्तक हिंदी साहित्य आरोह में प्रकरण दो में मियां नसीरुद्दीन लेखिका कृष्णा सोबती ने पत्रकार व अखबार पढ़ने वालें दोनों को निठल्ला (निकम्मा) बताया है। जो की बिलकुल गलत वर्णित है |
पत्रकारों और अख़बार के विषय में इस प्रकार की लेखनी अगर लेखिका द्वारा की गई है और शिक्षा विभाग ने जहा हर पहलू की जाँच परिक्षण परख के बाद ही पाठ्यकर्म में शामिल किया जाता है तो फिर सबसे बड़ा सवाल है की आखिर भारत के लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकार ,अख़बार के विषय में इस प्रकार की बेहूदा टिपण्णी पाठ में शामिल कैसे की गई आखिर ये चुक कहा हुई ,और रोचक बात ये है की इस प्रकार के पाठ लेख टिपण्णी अभी भी पाठ्यकर्म में विद्यार्थियों को पढाया जा रहा है!
विद्यार्थियों में मीडिया अखबारों और पत्रकारों के लिए क्या छवि बनेगी ? क्या ये ही असली अर्थ है मीडिया पत्रकार का यह सरकार और शिक्षा विभाग के लिए विचारणीय है | जहा पूरे देश में दुनिया में प्रेस मिडिया ,अख़बार ,अख़बार वाले पत्रकार दिनरात एक करके हर जगह से समाज ,शिक्षा ,देश,घटना ,राजनिति सभी पहुलूओ पर खबर तैयार करके आम जन तक पहुचाते है! इसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है।
पीरियोडिकल प्रेस ऑफ इंडिया केे प्रदेश अध्यक्ष सन्नी आत्रेय प्रदेश महासचिव भरत शर्मा ने पत्रकारों के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी को सिलेबस से हटाने की मांग की है
इस गलत तथ्य को लिखने से पूरे पत्रकार संगठनों में आक्रोश फैला हुआ है। पत्रकार संगठनों ने कहा कि शिक्षा मंत्री जल्द ही इस पुस्तक से इस तथ्य को हटायें। अन्यथा पत्रकार संगठन इसके खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर होंगे