प्रदेश में मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना में जहां पड़ोसी राज्यों के मरीजों का भार भी राज्य के लैब टेक्नीशियन पर है, वही विगत डेढ़ साल से कोरोना संक्रमण के बीच सैंपल एवं टेस्टिंग में लगे हुए लैब टेक्नीशियन की ड्यूटी अब चुनावों में लगा दी गई है । वैश्विक आपदा कोरोना का जांच कार्य सहित ब्लड बैंक से संबंधित ब्लड आपूर्ति एवं अन्य सुपर स्पेशियलिटी जांचे पूरी तरह ठप्प होने की संभावना है।
राजस्थान में केवल जयपुर जिले में s.m.s. मेडिकल कॉलेज एवं संलग्न चिकित्सालय में कार्यरत अधिकांश लैब टेक्नीशियन को पहली बार चुनाव ड्यूटी में लगाया गया है। जबकि इससे पूर्व ही मुख्य सचिव स्तर से लैब टेक्नीशियन को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने के आदेश निकले हुए हैं
सभी अस्पतालों में लैब टेक्नीशियन round-the-clock ब्लड बैंक व विभिन्न लैबो मे अपनी सेवाएं देते हैं । आज प्रदेश में मात्र 4000 लैब टेक्नीशियन कार्यरत हैं, अधिकांश पद रिक्त हैं। कोरोना के बीच सरकार ने इस कमी को पूरा करने के लिए 1119 पदों की तत्काल भर्ती भी निकाली थी जो अभी प्रक्रियाधीन है। एस. एम. एस. मेडिकल के सलंग्न अस्पतालों की इमरजेंसी लैब जहां मरीजों को तत्काल रिपोर्ट उपलब्ध करानी पड़ती है, ब्लड बैंक जहां ट्रोमा, ऑपरेशन थिएटर एवं प्रसुति के केसेज में जान बचाने के लिए क्रॉस मैच व अन्य जाँच कर मरीज को तुरंत रक्त उपलब्ध कराना पड़ता है जिससे मरीज की जान बचाई जा सके, ये सब चुनाव ड्यूटी के चलते पूरी तरह बाधित रहेंगे। एलर्जी से संबंधित जांच एवं सुपर स्पेशलिटी लैब जिनमें गुलियन बेरा सिंड्रोम(GBS) के लिये नर्व कंडक्शन वेलोसिटी जैसी जांच तुरंत करानी पड़ती है एवं जाँच रिपोर्ट के अनुसार मरीज की जान बचाने के लिए अत्यधिक मंहगे इंजेक्शन भी तुरंत ही देने पड़ते हैं, अत्यधिक कार्य के दबाव के बीच , इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी जैसी विशेष जाँचो के लिए मरीज को कई दिन पूर्व तारीख लेकर के जाते हैं अब चुनाव ड्यूटी के चलते मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ेगा । कई तरह के मार्कर, कार्डियोलॉजी एवं कोरोना से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जांचे लैब टेक्नीशियन ही करते हैं और अब अचानक इनकी ड्यूटी चुनाव में लगा दी गई है, जिससे मरीजों की जान पर खतरा आ गया है।
S.m.s. अस्पताल एवं कॉलेज प्रशासन सहित प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी इन सब को चुनाव से मुक्त रखने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखा भी गया है।सबके बावजूद भी अभी तक कार्मिकों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त नहीं किया गया है, जो समझ से बाहर है।