दिल्ली में कई ऐसी जगह हैं जहां सिर्फ कुल्फी, रबड़ी-फलूदा , और रसमलाई के लिए मशहूर है। एक दो स्थानों पर तो मुगल जमाने से ही कुल्फी और आइसक्रीम बनाई जाती हैं। कुल्फी और आइसक्रीम जिस तरह आज भी लोगों की पसंद में सवरेपरि हैं वैसे ही बादशाहों की भी पहली पसंद यही हुआ करती थीं।
कुल्फी,फलुदा, रसमलाई, गुलाबजामुन का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। आए भी क्यों न! आखिर कुल्फी, फलुदा इतना टेस्टी जो होती है। फिर जब इतनी गर्मी हो, तो कुल्फी,फलुदा का मजा दोगुना हो जाता है।कुल्फी,फलुदा पसंद करने वालों को हम बता रहे हैं दिल्ली में कुल्फी फालूदा की एक खास दुकान के बारे में जहां का स्वाद आपका दिन बना देगा…
कृष्णा दी कुल्फी
कृष्णा दी कुल्फी”:-कुल्फी के चाहने वालों के लिए ये जगह खास है.1959 में केसर कुल्फी,और फलुदा रसमलाई शुरू होने वाली इस दुकान में आज अच्छी क्वॉलिटी की कई फ्लेवर वाली कुल्फी,जूस,शेक,और ख़ास फलुदा मिलता हैं.यहां की कुल्फी अपने फ्रेश टेस्ट के लिए जानी जाती है। खास बात यह है कि ये किफायती भी है.
दिल्ली के पंडरा रोड मार्केट में कुल्फी-फलूदे और खास रसमलाई का एक ठिकाना दूर-दूर तक मशहूर है. बड़े-से लाल कपड़े में लिपटे मटके से कुल्फियां निकाल-निकाल कर फलूदा और सिरप डाल कर संचालक देवेंद्र गुलाटी जी लोगो को धड़ाधड़ ठंडी-ठंडी, कूल-कूल कुल्फी-फलूदा का मजा चखा रहे है .यह दुकान इतनी मशहूर है कि यहां हर पल कुल्फी-फलूदा.खाने वालो की भिड़ रहती है यहाँ आकर आप रॉयल फलुदा विद आइसक्रीम ,स्पेशल रबड़ी केसर मटका कुल्फी, फलूदा, के शौक़ीन अपना शौक पूरा कर सकते हैं.गिलास में सर्व रबड़ी-फलूदा भी है, लेकिन कुल्फी-फलूदा से ही इसकी पहचान है.
राजधानी दिल्ली में जैसे-जैसे पारा बढ़ता जा रहा है वैसे ही चिलचिलाती धूप लोगों को सताने लगी है। गर्मी के दिनों में कुल्फी की ठंडक लोगों को बहुत आकर्षित कर रही है। दिल्ली की मशहूर कुल्फी की दुकान, “कृष्णा दी कुल्फी” के संचालक संचालक देवेंद्र गुलाटी जी से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि ये कुल्फी की दुकान सन् 1959 में शुरू की गई थी.यहां दिनभर की 100-150 कुल्फियां बिक जाती हैं. रबड़ी कुल्फी, मटका कुल्फी, स्पेशल रबड़ी फालूदा और रबड़ी कुल्फी लोग ज्यादा पसंद करते हैं.
इनकी कुल्फी की शोहरत दूर-दूर तक है. कई दशकों का अनुभव इनकी कुल्फी में साफ नजर आता है. कुछ खास तरह की कुल्फियों ने यहां अपना रंग जमा रखा है.समय के साथ जैसे-जैसे व्यापार बढ़ता गया, वैसे-वैसे कुल्फी ने भी अपने रंग बदले और समय को देखते हुए इसमें किस्में जुड़ती गईं.लकिन कवालिटी को लेकर उन्होंने कभी कोई समझौता नहीं किया. दूध से लेकर फलों तक सभी चीजों को जांचने-परखने के बाद ही उनका इस्तेमाल किया जाता है.
संचालक देवेंद्र गुलाटी जी का दावा है कि कुल्फी का जो टेस्ट पहले था, वही आज भी बरकरार है.वे बताते हैं कि कुल्फी बनाने का तरीका आज भी उन्होंने पुराने स्टाइल का ही रखा है.बारह महीने यह सिलसिला चलता रहता है.
तहलका डॉट न्यूज