September 20, 2024

राजस्थान की शान ! किशनगढ़ अपने बहुमूल्य संस्कृति और मार्बल मंडी के लिए तो विश्व में प्रसिद है ही, वहीं किशनगढ़ अपने खान-पान और जायके के लिए भी विश्व प्रसिद है.
किशनगढ़ भ्रमण पर आये लोग अक्सर यहां के बढ़िया स्वादिष्ट खाने पीने की मशहूर चीज़ों के बारे में भी जानना चाहते हैं. क्योकि हम कहीं भी चले जाये पर कुछ अच्छा खाने को ना मिले तो पूरा ट्रिप ख़राब हो जाता है.इसलिए हम आप को बता रहे है एक ऐसी जगह के बारे में जो अपने स्वाद के कारण सिर्फ राजस्थान किशनगढ़ में ही नहीं बल्कि दूर दूर तक काफी मशहूर है..

                                    (चंद्रशेखर मिष्ठान भंडार)

किशनगढ़ नगरी के मार्बल को कौन नहीं जानता. लेकिन इसी नगरी के एक कोने में रबड़ी की एक ऐसी दुकान है जो न सिर्फ अपने अलग जायके के लिए मशहूर है बल्कि राजस्थान की शान है. स्वाद ऐसा कि जिसने खाया फिर उसे भुला नहीं सका। बात चाहे वालीवुड की हो या फिर राजनीतिक गलियारों की हर कोई यहां की रबड़ी के मुरीद हैं. गुलाबी नगरी से लेकर देश की राजधानी तक यहां के रबड़ी की चर्चा है.

यूं तो खाने के शौकीनों को रबड़ी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है, लेकिन किशनगढ़ की रबड़ी के क्या कहने।किशनगढ़ के पुराना शहर की चंद्रशेखर मिष्ठान भंडार दुकान की रबड़ी काफी मशहूर है. इसका जलवा ही अलग है. वैसे तो किशनगढ़ में रबड़ी की कई दुकानें हैं। जो अपनी अपनी खासियत लिये हुए हैं, लेकिन चंद्रशेखर की रबड़ी के आगे सब फीकी पकवान साबित होते हैं।

सुबहे पांच बजे से बिकने वाली किशनगढ़ की मशहूर रबड़ी राजस्थान ही नहीं बल्कि दूर दूर तक मिठास घोल रही है. राजस्थान किशनगढ़ के अलावा अन्य राज्यों से यहां आने वाले लोग भी चंद्रशेखर मिष्ठान भंडार के बारे में जानकारी लेकर रबड़ी का स्वाद लेने का मौका नहीं चूकते. ट्रेन बसों से आने यात्री रिश्तेदारों के लिए रबड़ी ले जाना नहीं भूलते. शहर की पहचान रबड़ी का इतिहास भी करीब 50 साल पुराना है.1970 में स्थापित पहली रबड़ी की दुकान आज जैसे किशनगढ़ की पहचान बन गई है.

वर्ष 1970 में राजस्थान किशनगढ़ के निवासी नारायण प्रशाद जी और चंद्रशेखर शर्मा और महेश शर्मा ने किशनगढ़ के आसपास के क्षेत्रों में दूध की पर्याप्त उपलब्धता का पता लगाकर सर्वप्रथम पुराना शहर की सदर बाजार गली में दुकान स्थापित कर रबड़ी का व्यवसाय शुरू किया. उन्होंने रबड़ी की क्वालिटी से समझौता नहीं किया. नतीजतन उनकी तैयार रबड़ी,मिश्री मावा,मिल्क केक शहर और आसपास के गांवों में लोगों की पसंद बन गए. फिर चंद्रशेखर जी के पुत्र पवन शर्मा और दिनेश शर्मा और साथ में दिनेश शर्मा के पुत्र अंकुश शर्मा ने व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे है.

क्वालिटी के साथ नहीं समझौता

दिनेश शर्मा बताते है की 50 वर्ष पहले सर्वप्रथम शहर में रबड़ी का व्यवसाय शुरू किया। राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से यहां आने वाले लोग रबड़ी जरूर खरीदते हैं. क्वालिटी के कारण आज भी रबड़ी किशनगढ़ में काफी मशहूर है. रबड़ी बनाने में शुद्ध दूध काम में लिया जाता हैं. विभिन्न मिठाइयों के बावजूद रबड़ी स्थानीय बाहर के लोगों की पसंद बनी हुई है.

चंद्रशेखर मिष्ठान भंडार की रबड़ी में ऐसा स्वाद है की बड़े से बड़ा नेता हो या अभिनेता या फिर विदेशी सैलानी सभी यहां की रबड़ी के दीवाने है. लाजवाब रबड़ी,अपना देशी स्वाद का वो स्थान जहां आपको ताजगी और सेहत का नया अहसास होता है..शर्मा जी अपनी रबड़ी से देश विदेश में अपनी एक विशेष पहचान बना चुके है.

तहलका.न्यूज़