राजस्थान की समृद्ध परंपराओं में शुद्ध खान-पान का शुरू से बोलबाला रहा है. इसी कड़ी में खाने-पीने के शहर किशनगढ़ में भी खाने-पीने के शौकीन लोगों की कोई कमी नहीं है. किशनगढ़ शहर में ऐसे कई स्थल हैं, जो अपने नाम से ही विशेष कार्य के लिए जाने जाते हैं. इसी शृंखला में किशनगढ़ में एक स्थान है “छीतरमल शर्मा चाट भण्डार”, जिनका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है.
किशनगढ़ में मशहूर (पंडित श्री छीतरमल जी कढ़ी-कचौरी वाले)
कढ़ी-कचौरी, गुलाब जामुन और रबड़ी जलेबी से बनाई अपनी पहचान
इनका नाम ही सब कुछ बयां कर देता है. जो चीज इन्हे विशिष्ट और प्रसिद्ध बनातीं है. वो है यहाँ के व्यंजन, यहां का स्वाद
किशनगढ में कचौरी, समोसे दबाकर खाना यहां का खास ब्रेकफास्ट माना जाता है.एक बार सुबह इसे खा लिया जाये तो दोपहर तक आपको भूख कम लगती है. यूँ तो कचौरी,समोसे की दुकानें किशनगढ़ के हर कोने में मिल जाती है, मगर किशनगढ़ के तेजाजी का चौक, रूपनगढ़ रोड के पास (छीतरमल पंडित जी कचौरी वालो) का स्वाद गुणवत्ता के मामले लाजवाब है.साथ में इनके गुलाब जामुन, केसरिया लस्सी का जवाब नहीं.इसका अंदाजा आप वहा लगने वाली लोगो की भीड़ देख के लगा सकते है.
अगर आप स्ट्रीट फूड कढ़ी-कचौरी- समोसा, पकोड़ी खाने के शौकीन हैं तो आप किशनगढ़ के किसी भी छोर पर अच्छी कचौरी समोसे की दुकान के बारे में बात करेंगे तो वह आपको पलभर में पंडित छीतरमल जी कडी कचौरी वालों का नाम और पता बता देगा. पंडित छीतरमल जी चाट किशनगढ़ में खाने-पीने के मामले में मशहूर नाम है.
दुकान के संचालक दिलीप जी शर्मा बताते हैं कि 50 साल पहले उनके दादा जी ने एक छोटी सी स्टॉल लगाकर कचौरी की दुकान की शुरुआत की जिसके बाद उनके पिताजी श्री छीतरमल जी शर्मा ने काम को संभाला और बदलते समय के साथ-साथ बदलती पीढ़ी ने इस काम को बखुभी संभाल रखा है.अब इस काम की बागड़ोर तीसरी पीढ़ी के हाथ में है.समय बदलता रहा पर यहां का स्वाद आज भी वहीं है.
शुद्ध एवं चटपटे मसालो से तैयार की हुआ कचौरी,समोसा,ब्रैड पकोड़ा, गुलाब जामुन का अपना अलग ही मजा है. साफ़-सुथरी इस दूकान पर सुबहे से ही कचौरी बनना शुरु हो जाते है. जिसका सिलसिला शाम तक ऐसे ही बरक़रार रहता है.
यदि आप इनका आनंद लेना चाहते हैं तो सब-कुछ भूलकर इनके स्वाद और खुश्बुओं में खो जाएं.आप सभी यहां आएं.और मिल-जुलकर इनका आनंद उठाएं.