जयपुर-कोरोना संक्रमण ने हमारे कई युवा पत्रकार साथियों को हमसे छीन लिया है। मीडिया कर्मियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसी संदर्भ में पीरियोडिकल प्रेस ऑफ इंडिया (पीपीआई) के प्रदेश अध्यक्ष सन्नी आत्रेय ने राजस्थान सरकार एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करती है कि राजस्थान में पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर रिपोर्टिंग कर रहे हैं। और सरकारी गाइडलाइन के साथ साथ जमीनी हकीकत से आम जन को अवगत कर रहा है।इसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल मीडिया शामिल है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर अपने पत्रकारिता धर्म को निभा रहे हैं।
बावजूद इसके भी बहुत से पत्रकार कोरोनावायरस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन राजस्थान सरकार की तरफ से मृतक पत्रकार के परिवार को खेद प्रकट करने के अलावा कुछ नहीं दिया है। इस दुखद परिस्थिति में मृतक परिवार अपने आप को कमजोर महसूस कर रहा है। क्योंकि वह पत्रकार अपने परिवार की आजीविका का सहारा था।
अतः पीपीआई मांग करती है कि जिस प्रकार मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पंजाब, तमिलनाडु और अभी हाल ही में उत्तराखंड सरकार द्वारा भी पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित किया जा चुका है। जिसमें कोरोना संक्रमण के कारण मौत होने पर 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता एवं टीकाकरण एक्सग्रेशिया के सभी लाभ शामिल है।
राजस्थान सरकार से हमारी मांग है कि राजस्थान में भी अधिस्वीकृत पत्रकारों को ही नहीं बल्कि सभी पत्रकारों के प्रति समदर्शिता का भाव रखते हुए उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करें।
जिससे उन्हें सरकारी सहायता एवं अन्य लाभ मिल सके और कोरोना संक्रमण के चलते जान गवा चुके मृतक पत्रकार के परिजनों को सरकारी नौकरी एवं उनके बच्चों को निशुल्क शिक्षा का प्रावधान शामिल हो इस संदर्भ में पीपीआई द्वारा शीघ्र मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा।