पावटा (शशि कांत शर्मा)- एसडीएम सुनीता मीना क्षेत्र में कोरोना वायरस से बचने के लिये उपायों को लेकर स्वास्थ्य विभाग व पुलिस टीम की लगातार कर रही मॉनिटरिंग
कोरोना आपदा में स्वास्थ्य व पुलिस कर्मी प्रशासनिक अधिकारी भी खुद की चिंता छोड़ अपना फर्ज निभा रहे हैं। ऐसे माहुल में हम बात करते हैं।
एक महिला अधिकारी सुनीता मीणा की जो 11माह से कोटपुतली में प्रशासनिक अधिकारी केतौर पर अपनी सेवा के साथ साथ कोरोना काल में लोगो को जागरूक भी कर रही है। मीणा गाँव गाँव जाकर लोंगो से अपील करती हुई नजर आती है।जैसे घर से बाहर ना निकले,बाहर निकले तो मुंह पर मास्क लगाए, कोरोना वायरस के रोकथाम एवं इसके बचाव के लिए उपखंड अधिकारी सुनीता मीणा के नेतृत्व में चिकित्सा प्रशासन पुलिस की टीम दिन रात राहत कार्य में जुटी हुई है।
भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है।सँस्कृत में एक श्लोक हैं- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:-अर्थात, जहाँ नारी की पूजा होती हैं, वहाँ देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में कोरोनाकाल के कारण जो भी हालात हैं उसे देखते हुए नारी शक्ति भी हर राहत कार्य में आगे आ रही हैं।
लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किया जाये, इस पर विचार करना अति आवश्यक है, वही दूसरी ओर,महिला नारी शक्ति के रूप में एसडीएम सुनीता मीणा क्षेत्र में कोरोना महावारी जैसी आपदाओं में स्थिति व इसके बचाव को लेकर मोर्चा संभाले हुए हैं।
आज मदर्स डे पर एसडीएम मीणा ने पूछा कई माताओ का हाल एसडीएम मीणा ने माताओ से मिलकर कहा कि मौसम बदल जाते हैं,मंजिल बदल जाती हैं,सुना है वक़्त आने पे लोग बदल जाते हैं रिश्ते भी बदल जाते हैं लेकिन माँ बाप का प्यार कभी नहीं बदलता।माता का हमेशा सम्मान हो माँ अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है।माता यानी जननी।माँ को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी एक नारी ही रही हैं। नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है,इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन होना चाहिए।