पावटा (शशि कांत शर्मा)- कहते है कि भगवान ने मनुष्य और पशु पक्षियो को एक – दूसरे के लिए बनाया है जिस प्रकार पेड पौधे प्रकृति की धरोहर है उसी प्रकार पशु – पक्षी भी पर्यावरण के अभिन्न अंग है। मनुष्य अपनी पीड़ा व्यक्त कर सकता है परन्तु ये बेजुबान अपनी पीड़ा व्यक्त नही कर सकते है इनकी पीडा के लिए ही भगवान ने मनुष्य को बनाया है। आज विश्व पशु चिकित्सा दिवस के अवसर हम बात करते है कि कोरोना महामारी मे जहाँ मनुष्य एक दूसरे से दूर भाग रहा है तो उस स्थिति मे इन बेजुबान जीवो का तो कोई रखवाला नही है।
कोरोना ने हमे इतनी विकट परिस्थिति मे खडा कर दिया कि हर व्यक्ति एक दूसरे से दूरी बनाकर अपना जीवन बचा रहा अब हम बात करते पशु चिकित्सा से जुडे पावटा तहसील के भांकरी निवासी एल एस ए गोविन्द भारद्वाज की जिनका केवल एक ही लक्ष्य है कि जहाँ भी कोई बेजुबान पशु पक्षी घायल या बीमार अवस्था मे हो वही रात हो या दिन तुरन्त पहुंचकर उसका उपचार करते है भारद्वाज ने अब तक के अपने सेवा काल मे 16401 गाय , 1231 नील गाय , 1018 मोर, एक जरख , 81 बन्दर , दो , दो लोमडी एवं चार सौ से अधिक छोटे परिन्दो का उपचार कर उनके जीवन को बचा चुके है। लोकडाऊन हो या कर्फ्यु हो या फिर जन अनुशासन पखवाडा इनकी सेवाये लगातार जारी है। इस कार्य मे परिवार का पूरा सहयोग रहा है ।
इस कार्य डॉ गौरीशंकर शर्मा छात्र मोहित शर्मा एवं दिव्या शर्मा ने भी दिन रात बेजुबान जीवो बचाने मे पूरा योगदान दिया है। डॉ शर्मा ने बताया कि बेजुबान जीवो का जीवन बचाना हमारा परम धर्म है। भगवान ने मनुष्य का जन्म केवल परोपकार एवं जीव दया के लिए हुआ है। इन बेजुबान पशु पक्षियो को बचाकर मनुष्य अपना जीवन धन्य कर लेता है।
बेजुबान जीवो के बच्चो को दूध पिलाकर पालन पोषण किया :- पशु चिकित्सक और बीमार पशु का पिता -पुत्र के जैसा सम्बन्ध होता है। भारद्वाज ने पशु चिकित्सा के क्षेत्र मे कार्य करने के लिए अलावा जिन बेजुबान पशुओ के बच्चो की मॉ मर जाती है या जंगल मे छोड़कर चली जाती है उनका निप्पल एवम बोतल से दूध पिलाकर पालन पोषण किया है। अब तक 108 बेजुबान पशुओ के बच्चो को दूध पिलाकर पाला है। इनमे नील गाय , बन्दर एवं गाय बच्चे सम्मिलित है। इस कार्य मे डॉ गौरीशंकर शर्मा , मोहित शर्मा एवं दिव्या शर्मा का पूरा योगदान रहा है । इनका ये मिशन आगे भी हमेशा जारी रहेगा ।