November 24, 2024
IMG-20210408-WA0010

विराटनगर(जयपुर):– ताजा मामला निकटवर्ती विराटनगर क्षेत्र के ग्राम सूरजपुरा का है। जहाँ दलित दुल्हों ने शादी में निकाली जाने वाली निकासी के लिए सुरक्षा की गुहार राज्य सरकार से लगाई है। विराटनगर का यह ग्राम सूरजपुरा राजधानी जयपुर से केवल 80 किमी की दूरी पर स्थित है। लेकिन सामाजिक व्यवस्थाओं में अन्तर इतना है कि जिन्हें मिटाने के लिए सदियों का समय बीत जायें। विडम्बना है कि सरकार के तमाम प्रयास आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में असफल साबित होते हुए दिखाई देते है।

क्या है मामला :- सूरजपुरा के कैलाश चंद पुत्र प्रेम चन्द बलाई ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन भेजकर सुरक्षा की गुहार लगाई है। ज्ञापन में लिखा है कि सूरजपुरा के इतिहास में पहली बार दलित दुल्हों के घोड़ी पर बैठकर निकासी निकाले जाने के प्रार्थी के भाईयों के प्रस्तावित विवाह कार्यक्रम में पुलिस बल, महिला कांस्टेबल व मजिस्ट्रेट की तैनाती की जायें। सूरजपुरा एक जाति विशेष बाहुल्य गाँव है। जिसकी बसावट के बाद से ही आज तक अनुसूचित जाति का कोई भी दुल्हा घोड़ी पर बैठकर ना तो निकासी निकाल पाया है एवं ना ही तोरण मार पाया है। यह परिस्थिति दलित समाज के लिए अपमान व गैर बराबरी का उदाहरण बनी हुई है। प्रार्थी के दो छोटे भाईयों विनोद व मनोज का विवाह 27 अप्रैल एवं चाचा के लडक़े मनीष का विवाह 30 अप्रैल को प्रस्तावित है। दोनों ही विवाह में प्रार्थी के घर से गाँव के प्रमुख रास्तों से होते हुए घोड़ी पर बैठकर निकासी निकाली जायेगी। साथ ही निर्धारित रास्ते पर श्रीराधा-कृष्ण जी के मंदिर में अन्य समाजों के दुल्हों की तरह दर्शन कर चढ़ावा भेंट किया जायेगा। जिसके बाद बारात विराटनगर के लिए रवाना होगी।

दबंग कर रहे बैठक :- प्राप्त जानकारी के अनुसार दलित दुल्हों द्वारा घोड़ों पर बैठकर निकासी निकाले जाने की सूचना मिलने पर समाज विशेष के लोगों द्वारा आये दिन बैठक की जा रही है। जिससे गाँव में स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण बनी हुई है। इस सम्बंध में सामाजिक कार्यकर्ता नित्येन्द्र मानव ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र एवं मुख्य सचिव निरंजन आर्य व शीर्ष अधिकारियों को पत्र भेजकर आवश्यक कार्यवाही करते हुए पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा, मजिस्टे्रट मय पुलिस जाप्ते के उपलब्ध करवाये जाने की माँग की है। विवाह समारोह के दौरान किसी भी प्रकार की अशांति की सम्भावनाओं को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता नित्येन्द्र मानव के नेतृत्व में पूर्व सरपंच सागर वर्मा, पावटा सदर मोहम्मद हुसैन, प्रेम चंद शिंभू दयाल, कैलाश चंद बलाई, सोनू खर्रा, राजेश हाड़िया, बलवंत मीना, सीता राम सिंघल, विक्रम यादव, फिरोज खान लीलू राम धानका, सहित अनेक लोगों ने क्षेत्रीय विधायक इंद्राज सिंह गुर्जर को ज्ञापन देते हुए बताया कि सूरजपुरा में सदियों से चली आ रही जातिगत भेदभाव आधारित कुप्रथा को तोडकऱ सामाजिक समानता व भाईचारे का संदेश दिए जाने बात कही साथ ही दूल्हों परिजनों के साथ भविष्य में ऐसी कोई अप्रिय घटना ना हो इसके लिए सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जाने की मांग की। जिस पर विधायक गुर्जर ने जिला कलक्टर अंतर सिंह नेहरा, उप जिला कलक्टर विराटनगर राजवीर यादव व पुलिस अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए।

30 वर्ष पूर्व हुआ था असफल प्रयास :- उल्लेखनीय है कि आज से 30 वर्ष पूर्व सूरजपुरा में दलित समाज के दुल्हे ने घोड़ी पर बैठने का प्रयास किया था। जिसे समाज विशेष के लोगों ने घोड़ी से गिराकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के सामने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था। जिसके बाद किसी दलित दुल्हे ने घोड़ी पर बैठने की हिम्मत नहीं की। उल्लेखनीय है कि देश की आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बावजुद भी जातिगत व्यवस्थाओं की कुप्रथाओं का यह अभिशाप लोकतंत्र के चेहरे पर तमाचे के समान है। वर्ष 2015 में भी निकटवर्ती ग्राम पाथरेड़ी में दलित समाज का एक दुल्हा पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच निकासी निकाल पाया था। अब देखना यह है कि सूरजपुरा में सदियों पूरानी यह कुप्रथा टुट पाती है या जाति का भेदभाव इसी प्रकार कायम रह पाता है।
सामाजिक कार्यकर्ता नित्येन्द्र मानव (पावटा)व गिरिराज गोठवाल (बिशनगढ़) ने बताया कि देश की आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद एक ओर भारतवर्ष विकास के नये पहिये पर सवार है। जहाँ जाति-पाति, धर्म, वर्ग व सम्प्रदाय का अन्तर मिटाने के लिए सरकार व समाज हर सम्भव प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी ओर आज भी देश में ऐसी जगह हैं जहां दबंगाई समाज के असामाजिक लोगों से दलित समाज के लोगों को आए दिन शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही हैं इस समाज को हीन भावनाओं से नीचा दिखाकर उनपर असहनीय अत्याचार किए जा रहे हैं तथा आज भी देश में जाति की पहचान, इंसान की पहचान से बड़ी मानी जाती है। समाज आज भी रूढिय़ों के कलंकित बंधन में कैद है।

तहलका न्यूज़ ज्ञान चंद