मनुष्य ने किया है अत्याचार – अनाचार ,
मनुजता को रख दिया है ताख पर सँवार |
इसानो पर हैवानियत एसी है छाई,
गर्भवती हथिनी को कैसे बक्श देगा
जब मानव का दुश्मन स्वंय मानव बना है भाई||
चारो तरफ है मचा हाहाकार ,
प्रकृति ले रही है अपना खूब प्रतिकार |
एक तरफ विश्व मे फैली महामारी,
दूजे पर्यावरण का संकट भारी ||
जंगलो को काट रहा बस अपनी सुविधा देख रहा ,
जीव -जन्तु ,पशु -पछि से अब कहा इसे मोह रहा|
पर्यावरण के साथ कर छेड़ -छाड़ सुख सारे भोग रहा ,
पर ये भूल रहा, है पर्यावरण पुरखो की विरासत नही
भावी पिढी से हमे है उधार मे मिली ||
तो आओ प्रण लो मेरे साथ —
एक-एक पेड़ लगाकर कर्ज से थोड़ा हो उद्धार ||
अर्चना मिश्रा,मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश