साल 2019 अपने आखिरी चरण पर है और ऐसे में सबको ये उम्मीद है कि आने वाला साल नई उम्मीदें और खुशीयों के साथ आएगा. साल 2019 में कई एसी घटनाऐं हुई जिसने कभी हमारे संयम कि परीक्षा ली तो कभी हमें सबक का पाठ पढ़ाया..साल 2020 दस्तक देने को तैयार है.
केंद्र की मोदी सरकार 2014 में देश के आर्थिक हालात बदलने के वादे के साथ सत्ता में आई.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने साल 2019 में कई ऐसे फैसले लिए, जिसे लेकर सालोंसाल चर्चा चलती रहेगी. सरकार ने यह भी दावा किया जो शायद पहले नहीं हुआ.
उन्हीं में से पांच बड़े फैसले के बारे में जानकारी नीचे दी गई है, जिसे आप जरूर जानना चाहेंगे.
तीन तलाक
1 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करते ही तीन तलाक बिल ने कानून का रूप ले लिया. अब भारत में तीन तलाक गैरकानूनी हो गया है. तीन तलाक के दोषी को तीन साल की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा पीड़ित महिला गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है. इस विधेयक को लोकसभा ने 25 जुलाई और राज्यसभा ने 30 जुलाई को पारित कर दिया था. मुस्लीम महिलाऐं इस कानून के पास होने से काफी खुश नज़र आई.
मोटर व्हीकल संशोधन विधेयक
मोटर व्हीकल संशोधन विधेयक में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के मकसद से काफी कठोर प्रावधान रखे गये हैं. किशोर नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना, बिना लाइसेंस, खतरनाक ढंग से वाहन चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, निर्धारित सीमा से तेज गाड़ी चलाना और निर्धारित मानकों से अधिक लोगों को बैठाकर अथवा अधिक माल लादकर गाड़ी चलाने जैसे नियमों के उल्लंघन पर कड़े जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
अनुच्छेद 370 हटाना
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को राष्ट्रपति के आदेश से जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा छीनते हुए अनुच्छेद 370 को हटा दिया. जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा भी खत्म हो गया. वहीं सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का ऐलान भी किया. इसके अनुसार जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गया.
अयोध्या मामले का हल
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सैकड़ों साल पुराने अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया. कोर्ट ने अन्य पक्षों की दलीलों को खारिज करते हुए 2.77 एकड़ की भूमि रामलला विराजमान को सौंप दिया. साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार तीन महीनें में एक ट्रस्ट का निर्माण करे वहीं मस्जिद के लिए अयोध्या में पांच एकड़ भूमि मुस्लिम पक्ष को दे.
नागरिकता संशोधन कानून
12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक ने कानून की शक्ल ले ली. इस कानून के अनुसार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से प्रताड़ित हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता मिल सकेगी. इसमें देश के किसी नागरिक की नागरिकता छीने जाने का कोई प्रावधान नहीं है. विपक्ष की तरफ से नए कानून को लेकर कई आशंकाएं जताई जा रही हैं. साथ ही इसे वापस लेने की मांग भी की जा रही है. लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि सरकार पीछे नहीं हटेगी.
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