भारतवर्ष प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों का देश रहा है. इस देश में अनेक चमत्कार हुए हैं. ऋषि-मुनि तपस्या में इतने लीन हो जाते थे कि उनको खाने-पीने, सर्दी-गर्मी-बरसात तथा जंगली जानवरों की भी कोई चिन्ता नहीं होती थी. वे इतनी घोर तपस्या करते थे कि भगवान को भी उनकी तपस्या के आगे झुकना पड़ता था तथा भगवान उनके सामने प्रकट होकर उन्हें वरदान देते थे.
यह इस देश में इसलिए सम्भव हो सका, क्योंकि यहाँ लोगों में सत्यता, कत्र्तव्यपरायणता और परोपकार की भावना कूट-कूट भरी हुई है. आज भी जो लोग सच्चे हृदय से भगवान पर श्रद्धा रखते हुए उनकी भक्ति में तल्लीन होते है, उनका आत्मबल बढ़ जाता है और वे दिव्यता को प्राप्त कर लेते हैं. उनके मुखमण्डल में यह दिव्यता साफ झलकती है. अनेकता में एकता समाए हुए है भारत देश:
आज देश भर में दशहरा का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा. दशहरा असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है. दशहरा को विजया दशमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण से युद्ध करके संसार को यह संदेश दिया कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, अच्छाई के सामने ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकती.
दशहरे का पर्व दस प्रकार
पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा देशवासियों को देता है.
तहलका.न्यूज़