इस मंदिर में माता देती हैं भक्तों के सवालों के लिखित जवाब, जानिए और क्या है अनोखा
राजस्थान के अजमेर बिजयनगर के पास में माता का एक अनोखा मंदिर है.बिजयनगर के पास स्थित बाड़ी माताजी मंदिर के स्थान पर आसोज नवरात्र में महिषासुर का दहन किया जाता है. शायद प्रदेश में एक मात्र स्थान होगा जहां महिषासुर का दहन होता है.
कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना एक टीचर ने की थी. भक्तों का कहना है कि ये एक चमत्कारिक मंदिर है. जानिए कैसे बना ये मंदिर और क्या है यहां का चमत्कार…
स्थानीय लोगों के मुताबिक, यहां एक चुन्नी लाल टांक नाम के टीचर हुआ करते थे. वे बिजयनगर के राजकीय सीनियर सैकण्डरी स्कूल में वाणिज्य के लेक्चरर थे. बताया जाता है कि बिजयनगर में सालों से मौजूद बाड़ी माता मंदिर के पुजारी को एक दिन सपना आया. सपने में कहा गया कि चुन्नी लाल टांक को बुलाओ और उससे कहो कि फूल-पाती के जरिए मुझसे सवाल पूछे.इसके बाद टांक मंदिर पहुंचे और माता की मूर्ति से इंग्लिश में सवाल पूछा. उन्हें लगा कि माता क्या इंग्लिश में उत्तर दे पाएंगी ?
उसी रात सपने में माता ने टांक को जवाब दिया और ये भी कहा अंग्रेजी मैंने ही तुम्हें सीखाई है.
घटना के बाद 1970 को एक दिन टांक ने खुद को बिजयनगर से 4 किलोमीटर दूर बाड़ी माता मंदिर के प्रांगण में पड़ा पाया. इसके बाद टांक माता के मंदिर में ही रहने लगे.कुर्ता-धोती और नंगे पैर रहना ही उनकी पहचान बन गई. हालांकि वे इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी कहानी के बाद बाड़ी माता मंदिर की ख्याति चारों ओर फैल गई. यहां माता का भव्य मंदिर बना.भक्तों का कहना है कि लिखे सवालों का जबाव मूर्ति पर लगे सिंदूर से गिरे अंश के जरिए मिलता है.
महिषासुर एक राक्षस था. जिसका वध करने के लिए ब्रह्नमा-विष्णु-महेश के तेज पुज से व देवी देवताओं ने अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित कर मां भगवती को शक्ति प्रदान की और मां भगवती ने सिंह पर सवार हो अपना विकराल रूप धारण कर महिषासुर का वध किया.
बताया जाता है की बाड़ी माता भी एक मां का ही रूप है इसी लिए यहां पर महिषासुर के पुतले का दहन किया जाता है. बाड़ी माताजी मंदिर में महिषासुर के दहन का कोई विशेष कारण नही बताया जा रहा है. बस वर्षो पहले माताजी के परम भक्त चुन्नी लाल टांक ने ये परंपरा शुरू की थी. जिसने अब एक विशाल रूप ले लिया है.
तहलका.न्यूज़