ढोल की थाप मजीरो की झंकार वेल गो चौकी का तान के साथ लोक संगीत के बीच बालाजी का मेला गुरुवार को बड़ली ग्राम में भरा गया. इस बार मेले में किसानों की काफी भीड़ नजर आई. डेढ़ सदी से यह मेला हर साल आयोजित किया आता जा रहा है. यह मेला लोक संस्कृति को जीवित बना रहा है.
बालाजी का मेला सांप्रदायिक सद्भाव की भी मिसाल है. मनोरंजन घरेलू सामानों की खरीद आस्था और परंपरा निर्गुण का संगम भी है. मेले की तमाम व्यवस्था मेला कमेटी द्वारा की जाती हैं. इस दौरान इस मेले में बाहर से भी श्रद्धालु आए. बड़ली का बालाजी मेला अपने आप में अनूठा है. आज के दिन पूरे गांव में जश्न का माहौल है. गांव वालों की ओर से रोट खीर चूरमे का भोग बालाजी को लगाया जाता है.
गुरुवार सुबह से ही बालाजी के दर्शन का तांता लगा रा इस दौरान श्रद्धालुओं ने बालाजी के रोड चूरमा का भोग लगाकर खुशहाली की कामना की मेले में महिलाओं ने मनिहारी के सामान की खरीदारी की बच्चों ने झूले और चकरी का लुफ्त उठाया मेले से पूर्व संध्या मंदिर में सुंदरकांड में जागरण का कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
तहलका.न्यूज़
(महेन्द्र साहू बडली)