राजस्थान हाईकोर्ट ने आज एक बड़ा निर्णय देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बड़ा झटका दिया है। हाइकोर्ट ने आज कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगले और अन्य सुविधाएं नहीं दी जा सकती हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे को पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में मिला बंगला खाली करना पड़ेगा. अदालत ने इसी के साथ ही वसुंधरा सराकार द्वारा 2017 में लाए गए राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 का भी अवैध घोषित कर दिया गया है.
प्रदेश के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि कोर्ट का फैसला देरी से आया है लेकिन स्वागत योग्य है. पूर्व बीजेपी सरकार व्यक्तिगत फायदे के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद संशोधन विधेयक लेकर आई थी. तिवाड़ी ने कहा कि विधेयक का विरोध करने का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा था और पार्टी छोड़नी पड़ी थी. उन्होंने लाभ लेने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों से खर्चा और बंगले का किराया वसूले जाने की भी मांग की. बता दें कि घनश्याम तिवाड़ी ने बीजेपी में रहते हुए इस मसले को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था.
पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा देने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस प्रकाश गुप्ता ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधाएं नहीं दी जा सकेंगी. मिलापचंद डांडिया व अन्य की याचिकाए को स्वीकार रखते हुए 9 मई को मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था. याचिकाओं में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा देने को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट पहले ही यूपी के मामले में इस तरह के विधेयक को ठहरा चुका है अवैध. वहीं कुछ दिन पहले उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने भी आदेश दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला नहीं दिया जा सकता.
तहलका.न्यूज़