November 24, 2024
तहलका.न्यूज़

जयपुर उत्सवों की नगरी है. तीज यहां का खास उत्सव हैं. यूं तो जयपुर के हर त्योंहार का अलग ही रंग, अलग ही रौनक होती है. लेकिन त्योंहार जयपुर की पहचान हैं और जयपुर की विशेष संस्कृति से खास सरोकार रखते हैं. खास तौर से तीज का उत्सव जयपुर की शाही विरासत और रंग-बिरंगी संस्कृति का प्रतीक माना जाता है.

सावन का महीना एक अजीब सी मस्ती और उमंग लेकर आता है.चारों ओर हरियाली की जो चादर सी बिखर जाती है उसे देख कर सबका मन झूम उठता है.ऐसे ही सावन के सुहावने मौसम में आता है तीज का त्यौहार,श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं. उत्तर भारत में यह हरियाली तीज के नाम से भी जानी जाती है. सावन के महीने में तीज, नागपंचमी एवं सावन के सोमवार जैसे उत्सव उत्साह पूर्वक मनाए जाते हैं.

शहर में तीज माता की सवारी इस बार भी पारंपरिक और शाही ठाठ से निकाली जाएगी. त्रिपोलिया गेट से शुरू होकर त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़ और गणगौरी बाजार होते हुए चौगान स्टेडियम पहुंचेगी. सवारी के जुलूस में बग्धी, बैलगाडियां, ऊंट और तोप गाडियां भी शामिल होती है. तीज माता पार्वती का एक रूप है और जयपुर के शाही परिवार की महिलाओं के अलावा अन्य कोई तीज की मूर्ति को  नहीं सजा सकता है.

इस सवारी को स्वर्ण या रजत पालकी में रखा गया है. यह उच्च नस्ल के घोड़ों, हाथियों और पराक्रम के रेगिस्तान में ऊंट के जहाज सहित एक शाही काफिले में शामिल होते है.  लोक नृत्य, लोक गीत और अन्य विभिन्न कार्यकर्म आयोजित किये जाते है. इस सवारी में जयपुर के सर्वश्रेस्ट कलाकार लोक सगीत प्रस्तुत करते है.

धार्मिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए इस व्रत का पालन किया था.परिणामस्वरूप भगवान शिव ने उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था. माना जाता है कि श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन माता पार्वती ने सौ वर्षों के तप उपरान्त भगवान शिव को पति रूप में पाया था.

इसी मान्यता के अनुसार स्त्रियां माता पार्वती का पूजन करती हैं. तीज पर मेहंदी लगाने, चूड़यिां पहनने, झूले झूलने तथा लोक गीतों को गाने का विशेष महत्व है.तीज के त्यौहार वाले दिन खुले स्थानों पर बड़े-बड़े वृक्षों की शाखाओं पर, घर की छत की कड़ों या बरामदे में कड़ों में झूले लगाए जाते हैं जिन पर स्त्रियां झूला झूलती हैं. हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेलों का भी आयोजन होता है.

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