April 25, 2024

News Desk :- 26  दिसंबर 2004 सुबह  लगभग 8 बजे जब पूरी दुनिया में शांति थी  तभी इंडोनेशिया के सुमात्रा में 9.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसने पुरे इंडोनेशिया के साथ पूरी दुनिया को हिला के रख दिया. इस भूकंप के सात घंटों बाद पूर्वी महासागर में समुद्र की ऊँची लहरें उठने लगी जो हिन्द महासागर तक पहुंच गयी और इनके बीच आने वाले सभी तटीय क्षेत्रों को तबाह कर दिया. इस दौरान समुद्र में लगभग 30 फिट ऊँची लहरें उठी और समुद्र के इस तांडव को सुनामी का नाम दिया गया. समुद्री तूफ़ान को जापानी भाषा में सुनामी कहा जाता है. सुनामी के दौरान समुद्र की लहरें काफी विकराल रूप अपना लेती है जिसमे लहरें 30 फ़ीट तक की ऊंचाई तक उठती है और समुद्र के भीतर इसकी चौड़ाई सैकड़ो किलोमीटर तक होती है. ऐसी स्थिति समुद्री तल के भीतरी भाग में आने वाले भूकंप के कारण होती है जिसके कारण  समुद्र की लहरें सुनामी का रूप ले लेती है. 2004 में आई इस सुनामी ने दर्जन भर देशों में तबाही मचाई. इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत, मालदीव और थाईलैंड के साथ साथ अन्य देशो से भी 2,25,000 लोगों की मौत की खबर आयी और बड़े पैमाने पर भारी  भरकम नुक्सान भी हुआ. इंडोनेशियाई अधिकारियों के अनुसार लगभग सबसे ज्यादा तबाही उत्तरी सुमात्रा के ऐश प्रान्त में हुई. श्री लंका और भारत से भी सेकड़ो लोगो के मारे जाने और लापता होने की खबर आयी, जिसमे भारत के अंडमान निकोबार में अधिक नुक्सान हुआ. 2004 में आयी इस सुनामी ने पूरी दुनिया को ये बता दिया था की प्रकृति से बढ़कर कुछ नहीं. 26 दिसंबर को काल के प्रकोप के रूप में भी देखा जाता है. इस सुनामी से हुए भारी नुक्सान से अभी तक कई देश नहीं उभर पाए है. हालांकि सुनामी की चेतावनी पहले ही दे दी गयी थी मगर किसे पता था की सुनामी अपना रौद्र रूप धारण कर लेगी. सुनामी लहरों का तांडव इतना विशाल था की तटीय इलाकों पर रहने वाले लोग जान बचाने के लिए वहां से भागे मगर समुद्र की लहरों के आगे किसकी चलती है और थोड़ी देर बाद नजारा ऐसा था जो खुद को  इतिहास के पन्नो में दर्ज करा गया. हर तरफ सिर्फ लाशे ही लाशे थी.

  इंडोनेशिया के बाद जापान में 2011 में आयी सुनामी भी कुछ कम नहीं थी. इस सुनामी को जापान के इतिहास में सबसे बड़ी प्राकृतिक विपदा के रूप में देखा गया. 11 मार्च 2011 को जापान के सेंडाइ में 9.1 की तीव्रता का भूकंप आया जिसमें 10 मीटर ऊँची समुद्री लहरों ने विकराल रूप धारण कर लिया था. 2011 में आये इस भूकंप से दुनिया के लगभग 20  देशो में सुनामी की चेतावनी दी गयी थी और सभी तटीय इलाकों को खाली करा लिया गया. 2011 में जापान में आयी सुनामी में लगभग 11000  लोगो के मरने की ख़बर आयी और 17000 लोग लापता हो गए. जापान में आयी सुनामी से सड़क मार्ग और रेलमार्ग पूरी तरह से नष्ट हो गया. सुनामी के कारण दो परमाणु बिजली घरो से रेडिओधर्मी विकिरणों का खतरा पैदा हो गया, जिसके कारण परमाणु ऊर्जा संयंत्र के आसपास का लगभग 25 किलोमीटर का दायरा बिलकुल खाली करा लिया गया. फुकुशिमा के पहले ऊर्जा संयत्र में भूकंप के 24 घंटो बाद विस्फोट हुआ. इस दौरान ऊर्जा संयत्र के बाहरी कंक्रीट के ढांचे में ही नुक्सान हुआ लेकिन भीतरी भाग में कोई नुकसान नहीं हुआ. इस स्थिति को देखकर उस क्षेत्र में आपातकाल घोषित कर दिया गया. प्रकृति के आगे किसकी आज तक चली है और आगे भी नहीं चलेगी.

इंडोनेशिया पर एक बार फिर सुनामी से भारी नुक्सान सकता है. इण्डोनेशिआ में क्रेकाटोआ ज्वालामुखी कि सक्रियता को देखते हुए इंडोनेसिया में चेतावनी दी गयी है कि ज्वालामुखी के तटीय इलाकों के आसपास के स्थान को खाली  कराया जाये. क्योकि सुनामी अपनी विनाशलीला कभी भी दिखा सकती है. शनिवार को आयी सुनामी में लगभग 373  लोगो कि मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हो गए. सुनामी प्रभावित इलाकों में मलबे के नीचे दबे लोगों कि तलाश जारी है. सुनामी से इंडोनेसिया कि कई इमारतें ध्वस्त हो गयी. सुंडा खाड़ी में अचानक आयी इस सुनामी ने जावा और सुमात्रा के तटीय इलाकों को हिला के रख दिया है. माना जा रहा है कि ज्वालामुखी के फटने के कारण समुद्र के जमीनी हिस्से में आयी हलचल से समुद्र में ऊँची लहरे उठी. इंडोनेसिया में आयी सुनामी के दौरान राहत कार्य तेजी से चल रहा है और मौत का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. बार आने वाली सुनामी और इसके अलावा कई प्राकृतिक आपदाएं मानो ये सन्देश देना चाहती है की प्रकृति जब अपने रौद्र रूप में आती है तो उसके आगे किसी का जोर नहीं चलता.

अभिषेक गौतम
Tehelka.News