April 23, 2024

वैसे तो राजस्थान की बात होते ही यहां के मशहूर किले औऱ मंदिर के नजारे पूरी दुनिया के सामने आ जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान के फूड आइटम्स कितने मशहूर हैँ। यहां के फूड आइटम्स की भी डिमांड कम नहीं है। राजस्थान में एक जगह है नसीराबाद अगर यहां आने के बाद अगर आपने यहां के मशहूर व्यंजन का स्वाद नहीं चखा तो समझिए राजस्थान ही नहीं घूमा। एक बार इन लजीज पकवानों को खाने के बाद आप भी इनके दीवाने हो जाएंगे। कुछ ऐसे ही फेमस फूड आइटम्स के बारे में हम आज आपको बता रहे हैं। जिन्होंने अपने व्यंजनों में बढ़िया मसाले और अद्भुत स्वाद के कारण देश विदेश में अपनी एक अलग पहचान बना रखी है।

नसीराबाद का नाम जुबां पर आते ही सबसे पहले ‘चवन्नी लाल हलवाई के कचोरा की तस्वीर सामने आ जाती है। विदेशी टूरिस्ट भी एक बार इसका स्वाद जरूर चखते हैं। प्याज और दाल का कचौरा हर किसी की पहली पसंद है।इसका स्वाद चखने के लिए लोग सुबह से ही दुकान पर जमा हो जाते हैं। इनके कचौरा का स्वाद बेहद अलग और स्वादिष्ट होता है।

चवन्नी लाल हलवाई

इनका नाम ही सब कुछ बयां कर देता है. जो चीज इन्हे विशिष्ट और प्रसिद्ध बनातीं है. वो है यहाँ के व्यंजन, यहां का स्वाद

नसीराबाद में चवन्नी लाल हलवाई का कचौरा का स्वाद ऐसा है कि लोग नाश्ते से लेकर लंच ओर डिनर तक में कचौरा खा लेते है। अजमेर नसीराबाद ही नहीं देश-विदेश में रहने वाले नसीराबाद प्रवासी लोगो की जुबां पर भी कचौरा का स्वाद सिर चढ़कर बोलता है।

चवन्नी लाल हलवाई के नाम से प्रसिद्ध कचौरा की दुकान के संचालक कल्याणमल गुर्जर, मुरली और सुनील जी ने बताया कि उनके पिताजी रामलाल जी(चवन्नीलाल) ने नरीराबाद 1974 में एक छोटी सी स्टॉल लगाकर कचौरा बनाना शुरू किया था। और उनके हाथों में ऐसा स्वाद था कि जो कोई एक बार उनके हाथ से बना कचौरा खा लेता तो वह उनके स्वाद का मुरीद हो जाता। वह बताते है कि राजस्थान, मुम्बई, दिल्ली, बंगलौर सहित अन्य दूर-दराज क्षेत्रों में नसीराबाद के रहने वाले लोग अपने परिजन के माध्यम से यहां बना हुआ कचौरा मंगवाकर बड़े चाव से खाते हैं। इतना ही नहीं, कई दफा यहां का कचौरा विदेशों तक अपनी स्वाद का जायका बिकेरता है।

चवन्नी लाल हलवाई का कचौरा स्वाद गुणवत्ता के मामले लाजवाब है।साथ में इनके गुलाब जामुन, केसरिया लस्सी का जवाब नहीं।इसका अंदाजा आप वहा लगने वाली लोगो की भीड़ देख के लगा सकते है।

अब इस काम की बागड़ोर तीसरी पीढ़ी के हाथ में है।समय बदलता रहा पर यहां का स्वाद आज भी वहीं है।

शुद्ध एवं चटपटे मसालो से तैयार की हुआ कचौरा का अपना अलग ही मजा है।साफ़-सुथरी इस दूकान पर सुबहे से ही कचौरा बनना शुरु हो जाते है. जिसका सिलसिला शाम तक ऐसे ही बरक़रार रहता है।

यदि आप इनका आनंद लेना चाहते हैं तो सब-कुछ भूलकर इनके स्वाद और खुश्बुओं में खो जाएं.आप सभी यहां आएं.और मिल-जुलकर इनका आनंद उठाएं.